पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/११६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मृत्युकी सूचना मिली है। उनका नाम दाऊद मुहम्मद था। श्री दाऊद मुहम्मद पहले साधारण स्थितिके व्यक्ति थे। उन्होंने अंग्रेजी ढंगकी कोई शिक्षा नहीं पाई थी। मैं कह नहीं सकता कि उन्होंने भारतमें दूसरे दरजेसे आगेकी शिक्षा भी पाई थी या नहीं। लेकिन अपनी बहुमुखी प्रतिभा और लगन के बलपर उन्हें बिना किताबी शिक्षा पाये भाषाओंपर ऐसा अद्भुत अधिकार प्राप्त हो गया था कि मैंने उन्हें लोगोंसे गुजराती, जो उनकी मातृभाषा ही थी, के अलावा तमिल, हिन्दी, क्रियोल, फ्रेंच, डच और अंग्रेजी भाषामें बहस करते देखा था। सहज वाक्चातुर्यके कारण वे लोकप्रिय व्याख्यानदाता बन गये थे। वे जितने कुशल व्यापारी थे उतने ही कुशल राजनीतिज्ञ भी। और जब निर्णय करनेका कठिन अवसर आया उस समय उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके सविनय अवज्ञाकारियोंका साथ दिया, सीमा पारकी और कई अन्य प्रतिष्ठित व्यापारियोंके साथ ट्रान्सवालकी पवित्र सीमा लाँघनेके अपराधमें अपनेको गिरफ्तार होनेके लिए प्रस्तुत किया।[१] कई यूरोपीय व्यापारी पेढ़ियोंके साथ बड़े पैमानेपर उनका कारोबार था, इसलिए बहुतसे यूरोपीय उनको अच्छी तरह जानते थे, और उनकी महानता तथा योग्यताके कारण उनका आदर करते थे। मुझे यह प्रमाणित करते हुए हर्ष होता है कि उन जैसे आदमीके लिए, जो ऐशोआरामकी जिन्दगीका आदी था और जिसकी उम्र उस समय ५० वर्षकी थी, अपनी आत्माकी आवाजपर गिरफ्तारीका खतरा उठाना एक ऐसा कार्य था जिसके कारण वे अपने कई यूरोपीय मित्रोंकी निगाहमें गिरनेके बजाय और ऊपर उठ गये। इसे मैं अपने लिए सम्मानकी बात मानता हूँ कि मैं दक्षिण आफ्रिकामें व्यापारी वर्गके ऐसे लोगों के निकट आया जिन्होंने जी खोलकर अपना समय और अपना धन दिया; और यहाँतक कि वे जेल जाकर अपनी वैयक्तिक स्वतन्त्रता और अपनी सम्पत्ति खोनेका खतरा भी स्वेच्छासे उठानेको तैयार रहे। श्री दाऊद मुहम्मद इस तरहके सर्वोत्तम लोगों में से थे। वे कई वर्षोंतक नेटाल भारतीय कांग्रेसके अध्यक्ष रहे। सम्पूर्ण दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय उन्हें जानते थे। मेरी विनम्र रायमें, यद्यपि भारत उन्हें नहीं जानता, तथापि इस बातपर उसे गर्व होना चाहिए कि उसने दाऊद मुहम्मदको जन्म दिया। इस समय दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंको उनकी सेवाओंकी बहुत आवश्यकता थी। श्री दाऊद मुहम्मदकी मृत्युसे उनको क्षति पहुँची है। और मैं कहूँगा ऐसी ही क्षति उन्हें उस साहसी राजनीतिज्ञ जनरल बोथाकी[२] मृत्युसे भी हुई है। अतः अब और भी अधिक यह देखना भारतका कर्त्तव्य हो गया है कि स्वतन्त्रताके लिए संघर्ष करनेवाले उसके सपूतोंके हित पूरी तरह सुरक्षित रहें।

आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

बॉम्बे क्रॉनिकल, १-९-१९१९

  1. देखिए खण्ड १२, पृष्ठ १९६-९७
  2. दक्षिण आफ्रिका संघके प्रधानमंत्री (१९२०-१९ ); इनकी मृत्यु २८ अगस्तको हुई।