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५४.भाषण : महिलाओं की सभा मेंं[१]

दाहोद[२]
अगस्त ३१, १९१९

स्त्रियोंके हाथमें धर्मकी बागडोर है। पुरुष बाह्य-प्रवृत्ति में अत्यन्त लीन होने के कारण अनेक बार धर्मको भूल जाता है, कितनी ही बार उसका त्याग कर देता है। लेकिन स्त्री जिस तरह, अपने बच्चेको, अपने हृदयका टुकड़ा मानकर अच्छी तरहसे सँभालकर रखती है ठीक उसी तरह वह धर्मकी भी रक्षा करती है। इसलिए मैं तो हमेशा यह मानता आया हूँ कि हिन्दुस्तानकी मुक्ति स्त्रियोंकी उन्नतिमें निहित है। स्वदेशी एक महान् धर्म है। गुजरातकी अनेक स्त्रियोंने उसका त्याग कर दिया है। अपने पड़ोसीको छोड़कर किसी दूसरेकी सेवा कदापि नहीं की जा सकती, जो पड़ोसीकी सेवा करता है वह समस्त विश्वकी सेवा करता है। हम अपने कारीगरोंका त्याग करते हैं और विदेशी कारीगरोंको प्रोत्साहन देते हैं, यह अधर्म ही कहा जायेगा। विभिन्न कारणोंसे हम पिछली एक शताब्दीसे यह अधर्म करते चले आ रहे हैं। परिणामस्वरूप हमने अपने कारीगरोंके हाथोंसे करोड़ों रुपए छीनकर विदेशी कारीगरोंको दे दिये हैं। इसलिए हिन्दुस्तानी भुखमरी से पीड़ित हैं। हमारी सबसे बड़ी दो जरूरतें हैं, अनाज और वस्त्र। सौभाग्यसे अनाज तो हम अभी देशमें पैदा हुआ ही खाते हैं लेकिन वस्त्र तो हम अधिकांशतः विदेशोंसे मँगवाया हुआ ही पहनते हैं। फलतः हमने गत वर्ष ५० करोड़ रुपए विदेश भेज दिये। यह हमारे लिए बड़ी शर्मकी बात है। इस स्थितिसे निकलना हमारा कर्त्तव्य है। उसका सबसे आसान रास्ता है कि हम जैसा सौ वर्ष पहले करते थे वैसा ही आज भी करें। स्त्रियोंको मुख्य रूपसे सूत कातना चाहिए और पुरुषोंको बुनना चाहिये।

मैं स्वदेशी आन्दोलन आरम्भ होनेके बाद अनेक बहनोंसे मिल चुका हूँ। उनमें से कुछ एक बहनोंने मुझे बताया कि वे सब सूत कातती हैं। और इस बातका प्रमाण भी दिया कि उनकी माताएँ भी सूत काता करती थीं। कातनेके धन्धेको हलका नहीं माना जाता था। शाही परिवारोंमें भी रानियाँ शौककी खातिर अथवा सहानुभूतिकी भावनासे सूत काता करती थीं। दाहोदकी बहनोंको इस प्राचीन और पवित्र कलाका जीर्णोद्धार करना चाहिए। जो बहन गरीब है वह अपने मौजूदा प्रामाणिक धन्धेको छोड़कर कताईका काम शुरू करे, ऐसी मेरी माँग नहीं है। कताईका काम सहल और सुन्दर है। जल्दी से सीखा जा सकता है। जब करना हो, तब शुरू किया जा

  1. दाहोद में गांधीजीके आगमनपर हजारों लोग उनके स्वागतके लिए गये थे और जलूस भी निकाला गया था। दोपहरके समय गांधीजीने महिलाओं की एक सभामें स्वदेशी और कताईके महत्त्वपर भाषण दिया था। यंग इंडियाके १०-८-१९१९ के अंक में भावणका अंग्रेजी विवरण भी उपलब्ध है।
  2. सौराष्ट्रके पंच महाल जिलेका एक प्रमुख शहर।