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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मन लकड़ीकी जरूरत पड़ी थी और दूसरी जगह यह दर्ज किया गया है कि दो-चार लकड़ियोंसे ही काम चल गया था।

ज्यादासे-ज्यादा यही लगता है कि एकको छोड़कर शेष सब अभियुक्त केवल दर्शक ही थे।

ये तथ्य सभी अभियुक्तोंपर लागू होते हैं। लाला दौलतरामके सम्बन्धमें भी मेरे पास कागजात आये हुए हैं। इस मुकदमेके तथ्य लाला करमचन्दके मुकदमेके तथ्योंसे मिलते-जुलते हैं। मेरे मनमें यह बात पक्के तौरपर बैठ चुकी है कि २८ पुरुषोंको जो दण्ड दिया गया है वह अज्ञानवश दिया गया है। उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए।

लाला करमचन्द एक पुराने अवकाश प्राप्त सरकारी नौकर हैं। उन्होंने राजनीतिमें कभी भाग नहीं लिया। कुछ वर्षोंसे वे अपना समय या तो रामनगरमें या हरिद्वारमें रहकर भजन-पूजनमें बिता रहे हैं। लाला दौलतराम एक ऐसे व्यक्तिके आत्मज हैं जिन्होंने बहुत लम्बे अर्सेतक सरकारकी प्रशंसनीय सेवा की है। वस्तुतः ऐसा लगता है कि उनका पूरा-पूरा कुटुम्ब ही सरकारी अधिकारियोंसे भरा पड़ा है। ऐसे लोगोंको इस निर्लज्जतापूर्ण ढंगसे दण्डित किया जाना क्रूरतापूर्ण कृत्य ही माना जायेगा।

फैसला स्वयंमें ही धिक्कारके योग्य है। उसमें बदला लेने तथा रोषकी गन्ध आ रही है। बचाव पक्षकी गवाहीका अस्वीकृत किया जाना, इस्तगासेके लचर मुद्दोंकी लीपा-पोती, तनहाईकी सजा और भारी-भारी जुरमाने निश्चित रूपसे यह इंगित करते हैं कि न्यायाधीशका मस्तिष्क असन्तुलित है और वह उस पदके योग्य नहीं है। ये सब मामले अब परमश्रेष्ठ वाइसरायके विचाराधीन हैं। अगर वाइसराय महोदय अभियुक्तके स्थानपर होते उस सूरतमें वे अपने साथ जैसे व्यवहारकी आशा रखते वैसा ही व्यवहार वाइसरायको इन अभियुक्तोंके साथ करना उचित है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ३-९-१९१९

५८. डॉक्टर सत्यपालका मामला

डॉक्टर सत्यपालके वक्तव्यसे, जिसे हम अन्यत्र छाप रहे हैं, प्रकट होता है कि डॉक्टर किचलूकी[१] भाँति इनके साथ भी कितना बड़ा अन्याय हुआ है। उनकी गिरफ्तारिके पश्चात् किये गये हिंसात्मक कृत्योंकी जिम्मेवारीसे उन्हें मुक्त कर दिया जाना चाहिए था। अमृतसरमें जो भी हिंसा हुई वह इन व्यक्तियोंकी गिरफ्तारीके बाद हुई थी। इस प्रकार उनपर ऐसे कृत्य करने और ऐसे भाषण देनेके अभियोग लगाये गये जिनसे उनका कोई भी वास्ता नहीं था। डॉक्टर सत्यपालपर जो अनेक आरोप लगाये गये हैं उन सबका जोरदार खण्डन उनके स्पष्ट, जोरदार और साहसपूर्ण वक्तव्य से हो जाता है। उन्होंने साफ तौरपर यह प्रमाणित किया है कि गुप्तचर विभागके

  1. डॉ० सैफुद्दीन किचलू (१८८७-१९६३); वैरिस्टर तथा पंजाबके कांग्रेसी नेता।