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६२. तार : वाइसरायके निजी सचिवकों

बम्बई
सितम्बर ६, १९१९

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गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

बॉम्बे गवर्नमेंट रेकर्ड्स

६३. हमारा उद्देश्य

जब मैंने 'यंग इंडिया'के सम्पादन कार्यकी देखरेखका दायित्व अपने सिरपर लिया तब मेरे तथा मेरे मित्रोंके मनमें यह प्रश्न उठा था कि क्या मेरे लिए यह अधिक उचित न होगा कि अंग्रेजी लेख लिखने, उनमें संशोधन करने, उनका अध्ययन करने और उन्हें संक्षिप्त करने आदिमें समय लगानेकी अपेक्षा गुजराती पत्र चलाऊँ। किन्तु विशेष महत्त्वपूर्ण प्रश्न तो यह था कि मैं किस तरह से हिन्दुस्तानकी अधिक सेवा कर सकता हूँ?

उस समय मैं यह देख सका कि 'यंग इंडिया' चलाते रहना मेरा स्पष्ट कर्तव्य है। अपने अंग्रेजीके ज्ञानका उपयोग में प्रजाके लिए कर सकता हूँ -- यह मैं जानता हूँ। लेकिन मुझे और मेरे कुछ मित्रोंको ऐसा लगा कि मुझे इसके साथ-साथ गुजराती समाचारपत्र भी चलाना चाहिए। अनुकूल परिस्थितियाँ भी उपस्थित हो गईं। मैं छापाखानेका मालिक रह चुका हूँ। मैंने बहुत समयतक 'इंडियन ओपिनियन' चलाया है।[२] किन्तु मैंने अपनेको उसके सम्पादकके रूपमें प्रगट नहीं होने दिया था। सम्पादकके रूपमें जनताके समक्ष आनेका मेरा यह पहला मौका है। इसका मैंने स्वागत किया है, लेकिन मैं घबरा रहा हूँ। अपनी जवाबदारीका मुझे पूरा भान है। यह दक्षिण आफ्रिका नहीं है। वहाँ तो मेरी गाड़ी किसी तरह चल जाती थी। लेकिन यहाँ समाचारपत्रोंकी कमी नहीं है। लेखक बहुत हैं। मेरा भाषा-विषयक ज्ञान बहुत ही कम है। तीस वर्ष-तक भारत से बाहर रहने के कारण भारतके विषय में मेरी जानकारी, जैसा कि स्वाभाविक है, कम है। यह विनयकी भाषा नहीं बल्कि मेरी स्थितिका वास्तविक चित्रण है।

१६-७

  1. वाइसरायके निजी उप-सचिवने अपने ७ सितम्बर के पत्रमें गांधीजींके उपर्युक्त तारको उद्धृत करते हुए उन्हें सूचना दी थी कि तारको भारत सरकारके गृह विभागको उचित कार्रवाईके लिए भेज दिया गया है।
  2. १९०३ से १९१४ तक।