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हमारा उद्देश्य

लेकिन सत्याग्रहकी सीमा सरकार तथा प्रजाके आपसी सम्बन्धोंमें ही समाप्त नहीं हो जाती। सामाजिक सुधारोंके लिए भी यह अमूल्य अस्त्र है। इसके द्वारा स्त्रियोंकी स्थिति, हमारे कितने ही अनिष्टकारी रिवाज, हिन्दू-मुस्लिम प्रश्न, हरिजनों-सम्बन्धी कठिनाइयाँ -- ऐसी अनेक समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। इसलिए प्रसंग आनेपर 'नवजीवन' इन सब प्रश्नोंकी चर्चा करेगा।

रौलट कानून सम्बन्धी लड़ाई सत्याग्रहका पदार्थ पाठ है। इसलिए 'नवजीवन' प्रजाके समक्ष इस लड़ाईको निरन्तर बनाये रखेगा। यह कानून अपने समयसे पहले ही रद हो जायेगा, इस विषय में मुझे कोई सन्देह नहीं, क्योंकि मुझे सत्यकी और सत्याग्रहियोंकी शक्ति में पूर्ण विश्वास है।

मेरी यह दृढ़ मान्यता है कि भारतकी आर्थिक दशाका पुनरुद्धार स्वदेशी द्वारा ही सम्भव है। स्वदेशीमें धर्मका मूल है। धर्मका त्याग करके कोई प्रजा उन्नत नहीं हो सकती, न कभी होगी। इस कारण 'नवजीवन' स्वदेशीका भी भारी प्रचार करेगा।

यदि कोई मुझसे यह प्रश्न पूछे कि मुझे भारतकी सेवा करनी है तो मैं अपनी आत्मा अंग्रेजी भाषामें क्यों नहीं उँडेलता, तो मैं कहना चाहूँगा कि जन्म और कर्मसे गुजराती होने के नाते गुजरातके जीवनमें ओतप्रोत हो जानेपर ही मैं भारतकी शुद्ध सेवा कर सकता हूँ। व्यापारिक दृष्टिसे भी मैं गुजरातको ही अपना मुख्य क्षेत्र मानकर अपनी शक्तिका अच्छेसे अच्छा उपयोग कर सकता हूँ। इसके सिवा अंग्रेजी भाषाकी मार्फत मैं अपना सन्देश किसे दूं? अंग्रेजीका मोह मिथ्या है, यह बात तो 'नवजीवन' नित्य बताया करेगा। मेरे कहनेका अभिप्राय यह नहीं है कि हमारे अभ्यास-कम अथवा जीवनमें अंग्रेजीका कहीं कोई स्थान नहीं है। मेरा आग्रह इतना ही है कि आजकल अंग्रेजीका व्यवहार ठीक जगहपर नहीं किया जाता।

हिन्दुस्तान किसानोंकी झोपड़ियोंमें बसता है। बुनकरोंका कलाकौशल भारतकी भव्यताका स्मरण कराता है। इसीसे मैं अपनेको किसान अथवा बुनकर कहलाने में गर्वका अनुभव करता हूँ। मुझे तो 'नवजीवन'को किसानों की झोपड़ियों तथा बुनकरोंके घरोंमें पहुँचाना है। मुझे उसे उनकी भाषामें ही लिखना है। इसलिए किसानों आदिके सुख-दुःखकी बातें 'नवजीवन' हमेशा उनकी भाषामें करेगा। यदि किसान भयभीत रहेंगे, कर्ज के बोझ तले दब रहेंगे, उनके शरीर रोगी होंगे तो मैं इसमें भारतका सर्वनाश ही देखता हूँ।

मैं ईश्वरसे सदा यही प्रार्थना करूँगा कि घर-घर स्त्रियाँ [भी] 'नवजीवन' पढ़ें। धर्मकी रक्षा स्त्रियाँ नहीं करेंगी तो कौन करेगा? स्त्रियाँ अज्ञान एवं मूढ़ स्थिति में रहें, स्त्रियोंको भारतकी रक्षाका ज्ञान न हो तो आगे आनेवाली पीढ़ीका क्या हाल होगा? इससे 'नवजीवन' स्त्रियोंको जाग्रत करेगा और पुरुष वर्गको स्त्रियोंके प्रति उनके कर्त्तव्यका भान कराने का प्रयत्न करेगा।

यह तो मैंने अपनी महत्त्वाकांक्षाओंका नमूना भर पेश किया है। संक्षेपमें तो मैं इतना ही कहना चाहता हूँ कि 'नवजीवन'का संचालन इस तरह किया जायेगा जिससे राजा और प्रजामें वैरभाव मिटकर मित्रता बढ़ेगी, अविश्वासके स्थानपर विश्वास