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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


(६) १९१७ में अतिवृष्टिके कारण बाजरेकी फसल नष्ट हो गई, बावटा और कोदोंको भी नुकसान पहुँचा। इन मुख्य फसलोंके साथकी गौण फसलोंको और कहीं-कहीं धानको भी चूहोंसे हानि पहुँची थीं।

(७) इससे माननीय श्री पारेखने यह सिद्ध कर दिखाया है कि ऊपरसे लेकर नीचेतक लगान वसूल करनेवाला कोई अधिकारी रैयतके कष्टोंकी परवाह नहीं करता। रैयतको चाहे कर्ज लेना पड़े अथवा अपने मवेशी बेचने पड़े तो भी वह लगानकी वसूली करनेसे नहीं चूकता।

(८) फसलकी आनावारी निश्चित करने के लिए कोई नियम नहीं, सिर्फ अन्दाजभर ही लगाया जाता है।

(९) होमरूल लीगके सदस्य सरकारको प्रजाके सेवकके रूपमें देखने लगे, जिससे अधिकारीगण उनपर नाराज हो उठे और उन्होंने इस नाराजगीको खेड़ाकी प्रजाके वास्तविक कष्टोंके बारेमें यह कहकर उतारा कि इन कष्टोंको तो बाहरसे आये लोग बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।

(१०) सरकारी नोटमें यह कहा गया है कि श्री पारेख और श्री पटेल मानो वकीलको हैसियतसे कलक्टर के पास गये थे यद्यपि हकीकत यह है कि ये दोनों खेड़ाके निवासी होने के कारण, बिना किसी फीसके जनताके दुःखमें हिस्सा लेनेके लिए उसके प्रतिनिधिके रूपमें गये थे।

(११) सरकारने गुजरात सभापर[१] जो आरोप लगाये थे वे अनुचित थे। सभाके सदस्य प्रतिष्ठित सज्जन हैं और उन्हें खेड़ामें काम करनेका पूरा अधिकार है। सारा गुजरात उस सभाका कार्यक्षेत्र है।

(१२) सरकार जब-जब लगान मुल्तवी करनेका आदेश देती है तब-तब वह [जनतापर] मेहरबानी करती है यह खयाल गलत है। लगान मुल्तवी करनेके सिद्धान्तको केन्द्रीय सरकारने स्वीकार किया है। उसी सिद्धान्तके अनुसार नियम बनाये गये हैं। और अधिकारी मनमाने ढंगसे इन नियमोंका अनादर नहीं कर सकते।

(१३) माननीय श्री पारेख और श्री पटेल[२], भारत सेवक समाज (सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी) और श्री गांधी द्वारा जाँच किये जानेके बाद बम्बई सरकारके लिए जाँच समिति नियुक्त करना जरूरी हो गया था, लेकिन उसने वैसा नहीं किया। यह उसका अन्याय ही माना जायेगा; और यदि भारत सरकार हस्तक्षेप न करती तो खेड़ाकी रैयतको जो-कुछ राहत मिली है वह भी न मिलती।

इस तरह श्री पारेखने ठोस उदाहरण और दलीलें देकर सर शंकरन् नायरकी रिपोर्टका समर्थन किया है और बम्बई सरकारकी पोल खोल दी है। आश्चर्य तो यह है कि सरकार अपने पक्षके बहुत कमजोर होनेके बावजूद उससे चिपटे रहनेका प्रयत्न कर रही है। 'रस्सी जल गई लेकिन बल न गये' इस सिद्धान्तके अनुसार सरकार

  1. देखिए खण्ड १४
  2. देखिए खण्ड १५