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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जिन्हें धन्यवाद दिया गया है। लेकिन १६ मईको हवाका रुख बदल गया। २१ अप्रैल और १६ मईके दरमियान कलक्टर महोदय श्री रॉबर्ट्सन तथा उत्तर विभागके कमिश्नर श्री प्रैटके बीच सलाह- मशविरा हो चुका था। श्री रॉबर्ट्सनकी माँगपर कलक्टर महोदयने, कितनी अतिरिक्त पुलिस चाहिए, इसके आँकड़े पेश किये और २६ मईको इन्होंने कमिश्नर महोदयको एक लम्बा पत्र लिखा और उसमें सुझाव दिया कि अतिरिक्त पुलिसका खर्च नडियादके पाटीदारों और वणिकोंसे लिया जाये। ये महोदय अनुच्छेद २ में जिस नियमको स्वीकार करते हैं, अनुच्छेद ३ में उसका उल्लंघन करते हैं। दूसरे अनुच्छेद में कहते हैं:

विशेष अदालतमें सब अपराधोंके सम्बन्धमें मुकदमे चलाये जा रहे हैं और सम्भव है कि इन मुकदमोंके परिणामोंका हमारे निर्णयपर असर हो। इसलिए मैं ऐसी किसी भी बातका विरोध करता हूँ जिससे यह प्रतीत हो कि हमने निर्णयपर पहुँचनेमें उतावली दिखाई है।

तथापि तीसरे अनुच्छेदमें ये महोदय बताते हैं कि नडियादपर जुर्माना किये जानेकी बात तो निश्चित की जा चुकी है। नडियादके मुकदमे २६ मईतक खत्म नहीं हो गये थे। उनकी सुनवाई तक भी नहीं हुई थी । अदालतने नडियादके मुकदमेका निर्णय १२ अगस्तको दिया। इसके बावजूद नडियादपर जुर्माना करनेका निश्चय १६ मईको हो गया। इन्होंने अपने पत्रके चौथे अनुच्छेद में यह जुर्माना लागू किये जानेके पाँच कारण बताये हैं:

(१) इसमें बिलकुल सन्देह नहीं कि नडियादके लोगोंने ही रेलकी पटरी उखाड़ी थी। उनमें अधिकांश पाटीदार हैं।

(२) कुछ समयसे नडियादके लोग सरकारके विरुद्ध लगातार जो आन्दोलन चला रहे हैं उससे यह अपराध अच्छी तरह प्रमाणित हो जाता है। गत वर्ष सत्याग्रह आन्दोलनके दौरान श्री गांधीका सदर मुकाम नडियादमें था। इस आन्दोलनसे लोगोंके मनमें सरकार एवं अधिकारियोंके प्रति आदर कम हुआ।

(३) खेड़ा जिलेके पाटीदार वणिकोंको तिरस्कारकी दृष्टिसे देखते हैं; उन्हें गुमाश्तों जैसा मानते हैं। लेकिन वणिकोंने लगानके विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ किया और पाटीदारोंने स्वार्थके वशीभूत होकर उसे अपना लिया और जब आन्दोलनने उग्र रूप धारण किया तब असली हिस्सा, जैसा कि स्वाभाविक था, साहसिक पाटीदारोंने लिया और वणिक पीछे रह गये। श्री गांधी, श्री गोकुलदास तलाटी तथा श्री फूलचन्द शाह वणिक हैं।

(४) मैंने नडियादके लोगोंको नडियादमें जिन व्यक्तियों द्वारा अपराध किये गये थे उन्हें पकड़ने में मदद देकर दूसरोंको मुक्त करवाने में मदद देनेका अवसर प्रदान किया था लेकिन उन्होंने ५०० रुपयेका मामूली-सा इनाम घोषित करनेके सिवा और कुछ नहीं किया। नडियादके किसी भी नेताने मुझे कोई महत्त्वपूर्ण खबर नहीं दी। इससे सिद्ध होता है कि उन्हें जो अवसर दिया गया था उसका