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नडियाद और बारेजडीपर जुर्माना

उन्होंने लाभ नहीं उठाया और उनपर जो जिम्मेदारी थी उससे मुक्त होनेके लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया।

(५) दो कारणोंसे वणिकोंको विशेष रूपसे उत्तरदायी माना जा सकता है; क्योंकि उन्होंने सरकारके विरुद्ध लोगोंको उकसाया तथा अपनी दुकानें बन्द करके - वे मुख्यतः व्यापारी हैं खलबली मचाई और उपद्रवकारियोंको उत्तेजित किया। नडियादमें पहली हड़ताल छः अप्रैलको बिना किसी कारणके की गई और इस तरह ११ तारीखको जो दंगे हुए उनके लिए रास्ता तैयार हुआ।

उपर्युक्त कारणोंसे एक बात स्पष्ट रूपसे सामने आ जाती हैं और वह यह कि नडियाद के लोगोंने श्री गांधीको अपने यहाँ बुलाकर तथा नडियादको सत्याग्रहका सदर मुकाम बनने देकर भारी अपराध किया। पहले कारणमें तो कलक्टर महोदयने न्यायाधीश बननेकी अनधिकार चेष्टा की है; जिस अदालतको नडियादके मुकदमे सौंपे गये थे उसके द्वारा निर्णय किये जाने से पूर्व उन्होंने स्वयं नडियादके लोगोंको और उनमें भी मुख्यतः पाटीदारोंको अपराधी करार दिया, लेकिन यह तो उनके पत्रके दूसरे अनुच्छेद के अनुसार दण्ड देनेके लिए पर्याप्त कारण नहीं माने जा सकते। तीसरा कारण विशेष रूपसे पाटीदारों और वणिकोंको बलिका बकरा बनानेके निमित्त दिया गया है। [लेकिन] यदि पाटीदार सिर्फ वणिकों द्वारा ही बहकाए गये हों तो सारी सजा वणिकोंको ही दी जानी चाहिए। हकीकत तो यह है कि लगानके प्रश्नका अथवा राजनैतिक हलचलका सम्बन्ध एक ही समुदायसे न था बल्कि इसमें सारे समुदायोंका हाथ था।

हड़तालमें समस्त भारतके हिन्दू व मुसलमानोंने एक समान भाग लिया, यह हम देख सकते हैं। श्री गांधीने 'यंग इंडिया' के अपने एक लेखमें स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने इस लड़ाई में अथवा इस किस्मकी अन्य लड़ाइयोंमें एक वणिकके रूपमें भाग नहीं लिया है। श्री गोकुलदास तलाटी वणिक हैं इस बातका पता भी उन्हें श्री केरके पत्रसे ही चला और एक मास पूर्व ही उन्हें श्री फूलचन्दके वणिक होनेकी बात मालूम हुई। वणिकों और पाटीदारोंको दोषी ठहराकर कलक्टर महोदयने अपने, वणिकों और पाटीदारोंके प्रति अन्याय किया है। हमारा विश्वास है कि वणिकों और पाटीदारोंपर जो जुर्माना किया गया है उससे दूसरी जातियोंके लोगोंने प्रसन्न होनेके बजाय अपनेको अपमानित ही महसूस किया होगा। क्योंकि सार्वजनिक कार्य में जितना भाग वणिकों और पाटीदारोंने लिया उससे कुछ कम दूसरी कौमोंने नहीं लिया; तो फिर ये लोग जिन्होंने सचमुच उसमें उतना ही भाग लिया है, ऐसा आरोप कैसे सहन कर सकते हैं? अन्तमें इस कारणपर विचार करते हुए हमें इतना तो कहना ही चाहिए कि यदि नडियादके अपराधका कारण श्री गांधी द्वारा चलाया हुआ आन्दोलन ही है तो १५,००० रुपये के जुर्माने तथा अन्य सजाओंके एकमात्र अधिकारी वे ही हैं। कलकत्ताके प्रसिद्ध दैनिक 'इंग्लिशमैन'ने, श्री हॉर्निमैनके देशनिकाले के समय टीका करते हुए ऐसे ही उद्गार प्रकट किये थे और वे ठीक थे। कलक्टर महोदयने जो चौथा कारण दिया है वह उनकी न्यायदृष्टिका परिचायक है। इसका अर्थ तो यह हुआ