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दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय

माँगका पूरा समर्थन करना चाहिए। हिन्दमें जन्मे सब लोगोंको साथ ही जीना और साथ ही मरना है। एकका हनन करके दूसरा कभी भी उन्नति नहीं कर सकता। एकके अधिकारोंको छिनते देखकर यदि दूसरा चुप बैठा रहेगा तो वह अपने अधिकारोंकी रक्षा भी नहीं कर सकेगा।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, ७-९-१९१९

६९. दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय

दक्षिण आफ्रिकी प्रश्नपर माननीय सुरेन्द्रनाथ बनर्जीके नेतृत्वमें भारत-मन्त्रीसे जो शिष्टमण्डल मिलने गया था उसके परिणामोंको कुल मिलाकर सन्तोषजनक माना जा सकता है तथा यह उम्मीद की जा सकती है कि दूर रहनेवाले हमारे भाई-बहनों-को सविनय कानून-भंग रूपी सत्याग्रहका आश्रय लिये बिना ही न्याय मिल जायेगा। श्री मॉण्टेग्यूने यह स्वीकार किया है कि हमारा मामला एकदम न्यायोचित है। उन्होंने यह भी विश्वास दिलाया है कि दक्षिण आफ्रिकामें जो आयोग नियुक्त किया जानेवाला है उसमें भारतीय प्रतिनिधि भी होगा। यदि वह व्यक्ति सच्चे अर्थों में [भारतीय जनताका] प्रतिनिधि हुआ तथा यदि साम्राज्यीय नागरिक संघ (इम्पीरियल सिटीजनशिप एसोसिएशन) की चार शर्तोंका पालन किया गया तो आयोगके परिणामके सम्बन्धमें हमें चिन्ता करनेका कोई कारण नहीं है। वे शर्तें ये हैं : (१) गोरोंकी ओरसे जितने प्रतिनिधि हों उतने ही भारतीयोंकी ओरसे हों, (२) आयोग के वर्तमान अधिकारोंमें कटौती करनेकी सत्ता नहीं होनी चाहिए, (३) भू-सम्पत्ति तथा व्यापारसे सम्बन्धित अधिकारोंको छीन लेनेका जो कानून पास किया गया है, आयोगको उस कानूनको रद करनेकी सिफारिश करनेका अधिकार होना चाहिए एवं (४) जबतक आयोगकी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हो जाती तबतक उपर्युक्त कानूनको अमल में नहीं लाया जाना चाहिए। ये शर्तें जितनी उचित है उतनी ही अनिवार्य भी हैं। हमारे भाइयोंको सबसे बड़ी आशंका यह है कि इस आयोगकी नियुक्तिका उद्देश्य उन्हें ज्यादा अधिकार देकर उनके साथ न्याय करना नहीं बल्कि ट्रान्सवालकी भाँति समस्त दक्षिण आफ्रिकासे उन्हें लगभग नष्ट करने अथवा उन्हें केवल मजदूरके रूपमें ही रहने देनेका है। इस सम्बन्धमें जनताकी ओरसे अच्छेसे अच्छा आन्दोलन तो यही हो सकता है कि वह उपर्युक्त शर्तोंके अनुसार ही [आयोगमें] अपना प्रतिनिधि नियुक्त करवाने की कोशिश करे।

हमें खेद है कि माननीय सुरेन्द्रनाथ बनर्जी सर विलियम मेयर द्वारा बिछाये गये जाल में फँस गये । श्री मॉण्टेग्यु नहीं फँसे, यह सन्तोषप्रद बात है। हमें उम्मीद है कि सर विलियम मेयरने पारस्परिकता (रेसिप्रोसिटी) का जाल उतावलीमें और अज्ञानवश बिछाया। इसका अर्थ तो यह है कि यदि अन्तमें दक्षिण आफ्रिकाके हमारे भाई-