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दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय

श्री मॉण्टेग्यूने बताया है कि राजनैतिक दृष्टिसे 'वीटो' (निषेधाधिकार) का प्रयोग करना सम्भव नहीं है। 'वीटो' अर्थात् ब्रिटिश साम्राज्य के जुदा-जुदा उपनिवेशों द्वारा पास किये गये कानूनोंको रद करनेका सम्राट्का सुरक्षित शाही अधिकार। श्री मॉण्टेग्युके कहनेका अभिप्राय यह है - दक्षिण आफ्रिकाका उपनिवेश इतना बलवान एवं स्वतंत्र है कि यदि मन्त्रिमंडलके सदस्य सम्राट्को दक्षिण आफ्रिकाके कानूनोंको रद, करनेकी सलाह दें और सम्राट् उसके अनुसार कार्य करें तो सम्भवतः दक्षिण आफ्रिका में भारी हलचल हो। इसका अर्थ तो सिर्फ इतना ही है कि ब्रिटिश सल्तनतका एक भागीदार उससे अलग हो जायेगा। इस साम्राज्यके सबसे ज्यादा कमजोर लोगोंपर होनेवाला अन्याय बन्द हो जाये और उसे बन्द करवाने से कोई भागीदार साम्राज्यसे अपना सम्बन्ध तोड़ ले तो यह परिणाम, निस्सन्देह अभिनन्दनीय है। ब्रिटिश साम्राज्य अथवा कोई भी साम्राज्य अत्यन्त निरीह लोगोंको भी हमेशाके लिए गुलामों-जैसा बनाये रखकर कदापि नहीं टिक सकता। इसलिए जो साम्राज्य दीर्घ कालतक जीवित रहना चाहता हो उसके लिए विरोध करनेवाले अंगोंका त्याग करनेके सिवा और कोई चारा नहीं है। लेकिन अगर सचमुच देखा जाये तो यह माननेका कोई कारण नहीं है कि सम्राट्के निषेधाधिकारका प्रयोग करनेसे दक्षिण आफ्रिकाके गोरे तूफान खड़ा कर देंगे। अन्यायी व नीतिहीन व्यक्ति हमेशा डरपोक एवं कायर होते हैं। ऐसे लोग आरम्भमें बहुत बलका प्रदर्शन करते हैं परन्तु अन्तमें जाकर न्यायके बलके आगे झुक जाते हैं। दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके विरुद्ध चल रही हलचल सरासर अन्यायपर आधारित है और यदि साम्राज्यीय सरकार थोड़ासा भी जोर लगाये तो यह अन्याय टिक नहीं सकता। साम्राज्यीय सरकार जोर लगाये उसके लिए एक ही बात आवश्यक है। यदि हम अत्यन्त विषम दशामें जीवन व्यतीत करनेवाले समुद्र पारके अपने भाई-बहनोंके पक्ष में मर्यादापूर्वक परन्तु दृढ़ शब्दों में आवाज उठायेंगे और उतना ही ठोस कार्य करेंगे तो हम साम्राज्यीय सरकारको बहुत बल प्रदान करेंगे तथा उसे इस सम्बन्धमें न्याय देने में समर्थ बनायेंगे।

हालांकि हम यह बता चुके हैं कि सम्राट्का निषेधाधिकार एक ऐसा शस्त्र है जिसका प्रयोग किया जा सकता है तो भी हमें स्वीकार करना चाहिए कि इस अस्त्रका बहुत कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए। और जैसा श्री मॉण्टेग्युका विचार है हम यह भी मानते हैं कि शाही आयोगसे न्याय मिल सकेगा। इसलिए फिलहाल तो हमें इसी बातपर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए कि आयोगका कार्य अच्छी तरहसे सम्पन्न हो।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, ७-९-१९१९

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