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वाइसरायके भाषण

भाषणका[१] एक शब्द भी नहीं बदलना चाहूँगा और साथ ही यह भी कहूँगा कि पंजाबकी घटनाओंके बारेमें मैंने कोई विचार निश्चित नहीं किया है। फिर भी मुझे पंजाबसे इस बातके काफी प्रमाण मिले हैं कि वहाँकी सरकारने ऐसे काम किये जिन्हें कदापि माफ नहीं किया जा सकता।

दयाका व्यवहार

यह जो दयाके व्यवहारकी चर्चा की गई है, वह कुछ शोभा नहीं देती। और यह दयाका व्यवहार करना भी किनके प्रति है? उन लोगोंके प्रति जो किसी तरह की दया या कृपाकी भीख नहीं माँगते, सिर्फ सीधा-सादा न्याय चाहते हैं। अगर बात सचमुच ऐसी हो कि सम्राट्के विरुद्ध लड़ाई छेड़ने या सरकारको उखाड़ फेंकनेके लिए साजिश की गई थी तो किसी समुचित ढंगसे गठित न्यायालयकी नजरोंमें जो लोग दोषी पाये जायें उन्हें फाँसीपर लटका दिया जाये। मैं तो नहीं चाहूँगा कि लाला हरकिशनलाल, पंडित रामभजदत्त चौधरी, डॉक्टर किचलू, डॉ० सत्यपाल और ढलती उम्र के ऐसे ही कुछ अन्य प्रसिद्ध जन-सेवी लोगोंने यदि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपसे भीड़को हिंसा करनेके लिए उकसाया हो, और देशकी विधिवत् संस्थापित सत्ताके खिलाफ साजिश की हो, तो उन्हें फाँसी के तख्तेसे बचाया जाये। आयोगको निर्णय कर लेने दीजिए। फिर अगर दयाके व्यवहारकी चर्चा करनेकी जरूरत हुई तो उसके लिए काफी समय रहेगा। अगर भारत सरकार सचमुच न्याय करना चाहती हो तो जिन्हें हिंसात्मक कार्य करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया हो और जिनके अपराध निर्विवाद रूपसे सत्य सिद्ध हो चुके हों उन्हें छोड़कर अन्य सभी राजनीतिक अभियुक्तोंको वह मुक्त कर दे। अगर परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदय वास्तवमें यह चाहते हैं कि न्याय और केवल न्याय - न उससे अधिक और न उससे कम - किया जाये तो वे वही करें जो दक्षिण आफ्रिकाकी सरकारने किया था। जब दक्षिण आफ्रिका में सत्याग्रह संघर्षके परिणामस्वरूप वहाँ एक आयोग नियुक्त किया गया तो आयोगकी सलाहपर मुझे और मेरे कुछ साथी कैदियोंको जान-बूझकर इस खयालसे छोड़ दिया गया ताकि मेरे वे साथी और मैं, जिन लोगोंका हम प्रतिनिधित्व करते थे, उनकी ओरसे गवाहियाँ देकर आयोगको[२] सही निर्णयपर पहुँचने में मदद दे सकें। मुझे आशा है कि अगर परमश्रेष्ठ दक्षिण आफ्रिकाके पूर्वोक्त उदाहरणका अनुसरण अपनी ओरसे नहीं करते तो आयोग उन्हें वैसा करनेकी जोरदार सलाह देगा।

दक्षिण आफ्रिकाकी स्थिति

अब मैं प्रसन्नतापूर्वक वाइसरायके भाषणके उस अंशको लेता हूँ जिसपर किसी प्रकारकी आपत्ति नहीं की जा सकती। परमश्रेष्ठने दक्षिण आफ्रिकी सवालके सम्बन्धमें जो कुछ कहा है वह अपनी हदतक काफी सन्तोषजनक है। सर बेंजामिन रॉबर्टसनका

  1. देखिए खण्ड १५, पृष्ठ २२८-३२
  2. दक्षिण आफ्रिकी संघ-सरकार द्वारा दिसम्बर १९१३ में नियुक्त सॉलोमन आयोग। देखिए खण्ड १२, पृष्ठ २६५