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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस संघर्षके सम्बन्धमें भाषण दे रहा था; उस सभाके अध्यक्षने कहा कि बेचारे भारतीयोंके पास न तो 'वोट' है और न हथियार, अत: 'पैसिव रेजिस्टेंस'के सिवा और क्या कर सकते हैं? कमजोरोंका हथियार तो 'पैसिव रेजिस्टेंस' ही हो सकता है? ये अध्यक्ष मेरे मित्र थे। उन्होंने तो ये विचार सरल भावसे प्रगट किये थे लेकिन मैंने अपने को अपमानित महसूस किया। मुझे पता था कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीय लोग जो युद्ध कर रहे थे उसका कारण उनकी दुर्बलता नहीं थी। उन्होंने सोच-समझ-कर युद्धकी इस पद्धतिको अपनाया था। जिस समय मेरी बारी आई उस समय मैंने अपने मित्रके उपर्युक्त विचारोंको सुधारा और बताया कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयों-जैसा युद्ध दुर्बल व्यक्तियों द्वारा किया ही नहीं जा सकता। सिपाहियोंको जिस साहसकी जरूरत होती है, इस युद्धमें कहीं अधिक हिम्मत मुझे दिखाई पड़ रही थी।

मैं जिस समय इस संघर्षके सम्बन्ध में इंग्लैंड गया था उस समय मैंने देखा कि मताधिकार चाहनेवाली (सफेजेट) महिलाएँ मकानोंमें आग लगा देती थीं, अधिकारियोंको चाबुक मारती थीं फिर भी अपनी लड़नेकी इस पद्धतिको 'पैसिव रेजिस्टेंस' के नामसे पुकारती थीं तथा जनसमाज भी उसे इसी नाम से पहचानता था। दक्षिण आफ्रिका संघर्ष में ऐसी आक्रामकताको कोई अवकाश न था।

इसलिए मैंने महसूस किया कि दक्षिण आफ्रिकाकी लड़ाईको 'पैसिव रेजिस्टेंस' के नामसे पहचानने में बहुत भय है। इसके लिए मुझे वहाँ कोई ऐसा अंग्रेजी शब्द नहीं मिला जो प्रचलित हो सकता। ऊपर में अंग्रेजोंकी जिस सभाका जिक्र कर आया हूँ, उसमें मैंने अपनी लड़ाईका परिचय "सोल फोर्स" के नामसे दिया था। लेकिन अपने संघर्षको हमेशा इस नाम से पुकारनेकी मेरी हिम्मत न पड़ी। समझदार अंग्रेज मित्र भी 'पैसिव रेजिस्टेंस' शब्दकी अपूर्णताको पहचान गये थे लेकिन [इसके स्थानपर] वे मुझे कोई दूसरा शब्द न दे पाये थे। 'सिविल रेजिस्टेंस' शब्द समुचित रूपसे हमारे संघर्षका ठीक बोध कराता है। यह मुझे कुछ समय पूर्व अनायास ही सुझाया गया था और तबसे में अंग्रेजीमें तो इसका प्रयोग कर रहा हूँ। 'सिविल डिसओबिडियन्स' में जो अर्थ निहित है उसकी अपेक्षा 'सिविल रेजिस्टेंस' कहीं अधिक अर्थ-गर्भित है। तथापि 'सत्याग्रह' शब्दकी तुलनामें उसका अर्थ भी हलका पड़ता है।

इसके सिवा दक्षिण आफ्रिकामें मैंने देखा कि हमारी लड़ाईमें विशुद्ध सत्य और न्याय ही था और लड़ने में जिस बलका प्रयोग किया जाता था वह पशुबल नहीं आत्मबल था। वह कितना ही कम क्यों न रहा हो फिर भी उसका सम्बन्ध आत्मासे था। इस बलका प्रयोग हम पशुओंमें नहीं देख सकते, और सत्यमें हमेशा आत्माकी शक्ति होती है, इसी कारण दक्षिण आफ्रिकाकी लड़ाईको हमने अपनी भाषाओं में सत्याग्रहके नाम से पुकारना शुरू किया।

इस तरह यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सत्याग्रहका मूल पवित्रतामें निहित है। अब हम समझ सकते हैं कि सत्याग्रहमें केवल कानूनका सविनय भंग नहीं है। अनेक बार सविनय भंग न करनेमें ही सत्याग्रह हो सकता है। जिस समय कानूनका सविनय भंग करना ही हमें अपना कर्त्तव्य जान पड़े और वैसा न करनेपर