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बहनोंसे [-२]

बहनोंकी बात तो समझमें आती है, लेकिन अन्य बहनोंका चरखके साथ क्या सम्बन्ध है?" प्रसिद्ध कहावत है, "खाली दिमाग शैतानका घर"; मैं निजी अनुभवसे कह सकता हूँ कि आलस करने या निठल्ले बैठनेसे विषयवृत्ति बढ़ती ही है। हमारी सम्पन्न बहनें अपना समय बातचीत अथवा गप्पें मारने में या अन्य प्रकारसे गँवा देती हैं। इसके विपरीत यदि वे अपना समय कुछ उपयोगी धन्धेमें लगायें तो उनका मन तथा हाथ-पैर अच्छी तरहसे व्यस्त रहें और यदि चरखा कातनेका काम करें तो उससे दूना लाभ हो। अभी कुछ दिन पहले ही एक बहनकी माँगका सिन्दूर पुंछ गया। उसे चरखके कामका पता चला। कुलीन परिवारकी यह महिला एक वर्षतक तो बाहर नहीं निकल सकती, इससे उसने सूत कातनके कामको हाथमें लिया। छः ही दिनमें उसने लगभग आध सेर महीन सूत कातकर भेजा है। उसकी पवित्र इच्छा तो यह है कि विधवाओंके लिए अनिवार्य शोक-काल समाप्त होनेसे पहले वह [कमसे कम] इतना सूत अवश्य कात ले जो उसके परिवारकी आवश्यकताके लिए काफी हो।

लेकिन मैं विषयसे बाहर चला गया। हमें तो इस बातपर विचार करना है कि यदि गरीब बहनें परवश हो अपना शील खो बैठें तो कैसे उनकी मदद की जाये? यदि आप सब बहनें अपना सारा समय इसी कार्य में लगा सकें तब तो आपको गाँव-गाँव जाकर यह मालूम करना चाहिए कि आपकी गरीब बहनें क्या करती हैं। यदि उन्हें कातना न आता हो तो कातना सिखाएँ, उन्हें रुईकी काफी पूनियां दें तथा उनसे सूत लेकर उसकी मजूरी चुका दें। फिलहाल तो बम्बईकी स्वदेशी सभाने स्थान-स्थानपर इस कार्यके लिए प्रबन्ध करनेका दायित्व अपने हाथमें लिया है और थोड़े समयमें ही इसके लिए उपयुक्त स्थान चुन लिये जायेंगे। अहमदाबादकी सभाकी ओरसे एक ऐसी शाखा खोली गई है, वहाँसे रुई आदिका प्रबन्ध हो सकता है।

मैं स्वीकार करता हूँ कि सब बहनें अपना सारा समय नहीं दे सकतीं। जो बहनें अपना थोड़ा-सा ही समय दे सकती हैं या अपने गाँव अथवा शहरको छोड़कर नहीं जा सकतीं, वे अपने मुहल्ले अथवा अपने गाँवकी ही देखभाल कर सकती हैं। समझदार बहनोंको अपनी ही सार-सँभाल करनेसे सन्तोष नहीं हो सकता, वे अपनी अच्छाईको दूसरोंमें भी लाना चाहेंगी। इसलिए अपने पड़ोसीकी स्थितिकी जाँच कर उसके जीवन में भाग लो तथा अपने मुहल्लेमें कताई मंडल अथवा कताई क्लबकी स्थापना करो और अपनी कमनसीब बहनोंको सहायता और आगे बढ़नेके लिए प्रोत्साहन दो।

यदि आप इतना भी नहीं कर सकतीं, यदि आप समझती हों कि आपमें दूसरी बहनोंको प्रभावित करनेकी क्षमता नहीं है अथवा आप वैसा न करना चाहती हों तो आप स्वयं कातना सीखकर, हमेशा एक निश्चित समयतक कातकर, अन्य बहनोंके लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती हैं और आप स्वयं मुफ्त सूत कातकर उस हदतक गरीब बहनोंको अधिक धन मिल सके, ऐसी स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसे कार्य कई बहनोंने शुरू कर दिये हैं। इस आशयके समाचार आपको समय-समय पर 'नवजीवन' में दिखाई देंगे। अतएव मैं आशा करता हूँ कि लोक-जीवनका उन्नयन