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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शाही आयोगकी नियुक्ति इंग्लैंडमें [साम्राज्य सरकार द्वारा] की जाती है और यह आयोग अपनी रिपोर्ट साम्राज्य सरकारको देता है। इस समितिकी नियुक्तिको घोषणा भारत सरकारने की है तथा इसकी रिपोर्ट वाइसराय के सम्मुख पेश की जायेगी। इतना अन्तर अवश्य है किन्तु भारतमें नियुक्त किये गये आयोगके सदस्य, भारत-मन्त्रीकी सम्मतिके बिना नामजद नहीं हो सकते। हमारा अनुभव है कि [कई मामलोंमें] शाही आयोगोंकी नियुक्ति हुई है, लेकिन वे निरर्थक सिद्ध हुए हैं और इसके विपरीत कई बार स्थानीय समितियोंकी मार्फत [हमें] न्याय मिल सका है। इसलिए मुझे तो शाही आयोग तथा स्थानीय सरकार द्वारा नियुक्त की गई समितिमें भारी भेद नहीं जान पड़ता। समिति [की जाँच] के परिणामका आधार कुछ हदतक इस बातपर निर्भर करेगा कि उसके सदस्य कैसे हैं। सदस्योंकी ओर देखनेपर मालूम होता है कि यद्यपि सब नाम ऐसे नहीं है जिन्हें हम सहर्ष स्वीकार कर सकें; तो भी यह नहीं कहा जा सकता कि वे पूर्वग्रहोंसे ग्रस्त हैं या कि वे स्वतन्त्र विचार कर सकनेकी क्षमता नहीं रखते। लॉर्ड हंटर इस समितिके अध्यक्ष हैं। वे साम्राज्यीय स्तरकी प्रसिद्धिवाले व्यक्ति नहीं हैं, किन्तु वे स्कॉटलैंडके महान्यायवादी (सॉलिसिटर जनरल) थे, इसलिए इस बातसे भयभीत होनेका कोई कारण नहीं है कि वे स्वतंत्र विचार करने में तनिक भी हिचकिचायेंगे। दूसरे सदस्योंके प्रति अपनी राय कायम करनेके लिए हमारे पास एक कुंजी है। सर चिमनलाल सीतलवाडकी[१] नियुक्तिके विषयमें टीका करनेका हमारे पास कोई कारण नहीं है। इतना ही नहीं यदि सभी सदस्य उनके जैसे ही हों तब तो हम इस समितिको अवश्य ही सहर्ष स्वीकार कर लें। सर चिमनलाल सीतलवाड एक प्रख्यात वकील हैं, इसके अतिरिक्त वे सार्वजनिक जीवनमें भी दिलचस्पी लेते हैं, और फिर वे सर फीरोजशाह मेहता जैसे धुरन्धर एवं स्वतन्त्रताके उपासक व्यक्तिके प्रमुख शिष्य, सहयोगी तथा मित्र हैं। इससे हम उम्मीद रख सकते हैं कि वे पक्षपात किये बिना और निर्भयतापूर्वक सच्चा न्याय करेंगे; इतना ही नहीं वे अन्य सदस्योंको भी अपनी ओर खींचेंगे। और यदि उन्होंने बम्बईसे ऐसे स्वतन्त्र विचारोंवाले तथा समझदार नेताको चुना है तो हम यह अनुमान कर सकते हैं कि दूसरोंके चुनाव में भी अधिकांशतः इसी पद्धतिसे काम लिया गया होगा। साहबजादा सुलतान अहमद, भारत-परिषद्के सदस्य साहबजादा आफताब अहमदखाँके भाई हैं। लेकिन समितिकी रिपोर्टका मुख्य आधार हमारे ऊपर रहेगा - हमारे अर्थात् पंजाबके भाइयोंपर। यदि वे निर्भयतापूर्वक सच्ची हकीकत कह सुनायेंगे तथा यदि कोई भी भारतीय निजी स्वार्थके वशीभूत होकर झूठी गवाही नहीं देगा तो हमें समितिकी रिपोर्ट के बारेमें भय करनेका कोई भी कारण नहीं है। हालांकि यह समिति, यदि उसे उचित जान पड़े तो, गुप्त बैठक कर सकती है, फिर भी यह सामान्यतया प्रकट रीति से ही गवाहियाँ लेगी। इसलिए समिति अपनी रिपोर्ट इन गवाहियोंके आधारपर ही तैयार कर सकेगी। और फिर पंजाब में हुए कुछ मामलोंमें तो स्पष्ट रूपसे

  1. स्व० सर चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड बम्बईके प्रमुख वकील तथा बम्बई विश्वविद्यालयके उपकुलपति। हंटर कमेटीके ३ भारतीय सदस्योंमें से एक।