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टिप्पणियाँ

ब : अपनी आकृतिसे देवी हमें यह कहती जान पड़ती है कि "मुझे इस विदेशी पहरावेसे मुक्त करो। ये स्त्रियाँ जो ऊँघ रही हैं उनके लिए चरखे साफ करो ओर उन्हें फिरसे सूत कातने योग्य बनाओ।" अ : आपकी बात तो मुझे सोनेकी मोहरके समान खरी जान पड़ती है। ब : तब फिर तुम्हें भगवे वस्त्र कैसे शोभा दें इसका निर्णय तो हम कर ही सकते हैं। अनेक साधु भगवेको लजाते हैं। वे देशपर भारस्वरूप हैं, इस बातको तो तुम स्वीकार करोगे। अ : इससे कोई इनकार कर ही नहीं सकता। ब : तब तुम सूत कातना और वस्त्र बुनना सीखकर दूसरोंको सिखाओ और इस तरह अपना तथा दूसरोंका उद्धार करो। तुम्हारा चरखा तुम्हारे बदले उपदेश देगा। अ : मुझे लगता है कि मैंने भगवे वस्त्र धारण करनेमें उतावली की। मेरा इरादा अच्छा था, लेकिन में थोड़े ही दिनोंमें कातना और बुनना सीख लूंगा।

[गुजराती से]

नवजीवन, १४-९-१९१९

८८. टिप्पणियाँ

ट्रान्सवालके एशियाई

गत सप्ताह ट्रान्सवालसे जो समाचार मिले हैं उन्होंने आगमें घीका काम किया है। ट्रान्सवालकी नगरपालिकाओं, व्यापारी-मण्डलों, मजदूर संघों तथा दूसरी संस्थाओंके प्रतिनिधियोंकी कांग्रेस में इस आशयका प्रस्ताव पास किया गया है कि एशियाइयोंके विरुद्ध जो कानून बनाये गये हैं उनके अमलमें ढील बरती जाती है, अतः उनमें अधिक सख्ती से काम लिया जाना चाहिए। इस कांग्रेसने एशियाइयोंको नागरिक अधिकार दिये जानेके विरुद्ध आवाज उठाई है। इसके अतिरिक्त कांग्रेसने 'साउथ आफ्रिकन्स लीग' अर्थात् 'दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंका मण्डल, स्थापित करनेका निश्चय किया है। इस मण्डलका उद्देश्य यह है कि एशियाइयोंके पास इस समय जो अचल सम्पत्ति है उसको उचित दाम देकर उनसे ले लिया जाये तथा ट्रान्सवालमें रहनेवाले तथा व्यापार करनेवाले व्यापारियोंको वहाँसे धीरे-धीरे लेकिन कुशलतापूर्वक निकाल बाहर करनेका हर सम्भव प्रयत्न किया जाना चाहिए।

प्रिटोरिया से प्राप्त हुए एक दूसरे तारसे भी गोरोंकी भावनाओंका पता चलता है। नगरपालिकाओं, व्यापारी-मण्डलों तथा अन्य संस्थाओंके प्रतिनिधि एक भारी सभामें उपस्थित हुए थे जिसमें एशियाइयोंके प्रश्नपर विचार किया गया था। सभाके अध्यक्षने यह विचार प्रकट किया कि यदि इस समस्याका समाधान नहीं हुआ तो दक्षिण अफ्रिकाका भविष्य अन्धकारमय है। सभामें सीनेटर मुनिक द्वारा प्रस्तुत यह प्रस्ताव पास किया गया कि एशियाइयोंके बढ़ते हुए प्रभावके फलस्वरूप ट्रान्सवालके गोरे