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भाषण : बम्बईकी खिलाफत सभामें

विशाल श्रोतृ-समूह और मंचपर मौजूद नेताओंकी ओरसे है। यदि आज आप और मैं अपना कर्त्तव्य नहीं निभाएँगे तो हम उन करोड़ों मुसलमानोंके शापके भागी बनेंगे जो आशा सँजोये हुए हैं कि किसी-न-किसी तरह सब ठीक हो जायेगा। यदि सब-कुछ ठीक न हुआ तो उनको बड़ी गहरी निराशा होगी। ब्रिटिश शासक बड़े चतुर और बुद्धिमान हैं। उनको यह समझते देर नहीं लगेगी कि हम कोई बात गम्भीरतासे कह रहे हैं, या केवल बातें बना रहे हैं। इसीलिए मैं चाहता हूँ कि आप अपने आपसे सवाल करें कि इस इतने गम्भीर मसलेके बारेमें आप स्वयं भी पूरी तौरपर गम्भीर हैं या नहीं। विश्वास मानिए कि यदि आप गम्भीर हैं, तो अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं। हमें लॉर्ड एम्टहिल[१] और उन अन्य भले लोगोंका आभार मानना चाहिए जो आपके उद्देश्यका समर्थन और प्रचार कर रहे हैं। आपने उन भले अंग्रेज श्री एन्ड्रयूजका अभी केवल एक ही पत्र देखा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि वह आपके लिए जो निरन्तर प्रयत्न कर रहे हैं, यह पत्र उसका एक बहुत ही मामूली सा अंश है। परन्तु यदि आप स्वयं इस समस्या के बारेमें जागरूक नहीं रहेंगे तो मैंने अभी-अभी जिनके नाम गिनाये हैं उन अंग्रेजोंकी सेवाएँ निष्फल हो जायेंगी। आपने यह कार्रवाई एक प्रार्थनासे शुरू की थी और प्रार्थनाके साथ ही आप इसे समाप्त करेंगे। अल्लाह हर जगह मौजूद है और उसकी आँखोंसे कुछ छिपा नहीं है; हम उसे धोखा नहीं दे सकते। समस्त संसारके सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति मानते हैं कि आपका उद्देश्य न्यायपूर्ण है। परन्तु क्या आप भी न्यायपर हैं? आप स्वयं भी इसके प्रति ईमानदार हैं? इसकी कसौटी बड़ी सीधी-सी है। हर ईमानदार और सच्चा आदमी किसी सच्चे उद्देश्यके हित अपनेको बलि चढ़ानेके लिए तैयार रहता है। क्या आप अपने उद्देश्यके लिए अपनी बलि देने को तैयार हैं? क्या आप अपना आराम, अपनी सहूलियतें, अपना धन्धा और अपनी जान कुर्बान करनेके लिए तैयार हैं? यदि हैं, तो आप सत्याग्रही हैं, आपकी विजय निश्चित है। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही कभी-कभी मेरे पास आकर पूछते हैं कि क्या सत्याग्रहमें कभी- कभी चोरी-छिपे भी हिंसा नहीं की जा सकती? मैंने सदा यही उत्तर दिया है कि हिंसा चोरी-छिपेकी हो या खुलासा, हर रूपमें वह सत्याग्रहके सर्वथा विपरीत है। पूर्ण अविचलता और [दृढ़] संकल्प ही न्यायपूर्ण उद्देश्यको सदा विजय दिलाते हैं। उद्देश्यके लिए मर-मिटना मानवमात्रका धर्म है और हत्या करना पशुओंका।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २०-९-१९१९

  1. देखिए खण्ड ९, पृष्ठ ५१२-१४