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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन मामलों में ही राहत देने को तैयार हो जिनको प्रीवी कौंसिल उचित ठहराये। हमें इससे सन्तोष नहीं कर लेना चाहिए। इसलिए हमें उन सभी मामलोंकी पूरी तौरपर सार्वजनिक और निष्पक्ष जाँच करानेका प्रयत्न करना चाहिए जिनमें हम समझते हैं कि स्पष्ट ही अन्याय हुआ है। इसलिए विचारणीय प्रश्न यह है: क्या लॉर्ड हंटरके पास ऐसी जाँच पड़ताल करनेके लिये पर्याप्त शक्ति है? यदि नहीं, तो मैं निःसंकोच यही सलाह दूंगा जो मैंने दक्षिण आफ्रिकामें दी थी और वह यह कि लोगोंको समितिके सामने साक्ष्य प्रस्तुत करने नहीं जाना चाहिए। दूसरी चीज यह कि मैं लाला हरकिशनलाल, लाला गोवर्धनदास, डॉ० सत्यपाल, डॉ० किचलू और अन्य राजनीतिक अपराधी कहे जानेवाले लोगोंकी रिहाईके लिए आन्दोलन करूँगा। उनको भी उसी स्वतन्त्रता और इज्जतके साथ साक्ष्य प्रस्तुत करनेका अवसर दिया जाना चाहिए जिस स्वतन्त्रता और इज्जतके साथ वाइसराय और सर माइकेल ओ'डायरको - यदि वे इसके लिये सहमत हो जायें - साक्ष्य प्रस्तुत करने दिया जायेगा। और मेरा खयाल है कि उनको सहमत होना चाहिए। तीसरी चीज यह कि हमें अपनी सारी शक्ति पंजाब और अन्य स्थानोंमें जाकर साक्ष्य इकट्ठे करने, उन्हें व्यवस्थित रूप देने और महत्त्वके हिसाब से उसका चुनाव करने में लगानी चाहिए। इस कार्यके लिए निरन्तर प्रयत्न, संगठन-योग्यता और देशकी सर्वोत्तम प्रतिभाको क्रियाशील बनानेकी और समिति के सामने पूरा मामला प्रस्तुत करनेके लिए पूर्ण निर्भयता तथा सत्य-निष्ठाकी आवश्यकता है। और यदि हम सदा सतर्क पंडितजी द्वारा तैयार की गई बृहत् सूचीमें गिनाये गये अभियोगोंमें से एक चौथाईको भी पूरी तरह सिद्ध कर दें, तो हम शुरूते जो कहते आ रहे हैं उसकी परिपुष्टि हो जायेगी। गलती करनेवाले अपराधियोंको दण्ड दिलाना हमारा लक्ष्य नहीं है। हमारा लक्ष्य तो उन व्यक्तियोंको सम्मानपूर्वक बरी करवाना है जिनको हम निर्दोष और निरपराध मानते हैं और जिनको सजा देना हमारे खयालसे गलत था।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २०-९-१९१९

९७. पत्र : जी० एस० अरुंडेलको

आश्रम
साबरमती
सितम्बर २०, १९१९

प्रिय श्री अरुंडेल,

आपका अनुरोध[१] है कि मैं 'पंजाब सप्ताह'के सिलसिलेमें कुछ भेजूं। इस सम्बन्धमें में इतना ही कह सकता हूँ कि इस दुःखी प्रान्तकी जनताके लिए पूरा-पूरा न्याय हासिल करना और हम जिसे उसके प्रति अन्याय समझते हैं उसका पर्दाफाश करना स्पष्ट ही हमारा कर्त्तव्य है।

  1. भरुंडेलने सितम्बर १३, १९१९ को सम्बन्धित पत्र लिखा था।