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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हार मुसलमान डॉक्टर है। यदि उन्होंने सचमुच ही दंगा-फसाद किया है और हत्याओंके लिए लोगोंको उकसाया है तो उनको दी गई सजाएँ माफ करनेका कोई सवाल ही नहीं उठता। इसलिए डॉ० बशीरको मिले मृत्यु दण्डकी माफीके समाचारसे श्रीमती बशीरको चाहे थोड़ी-बहुत सांत्वना हो भी, पर डॉ० बशीर या आम जनताको तो उससे कोई सांत्वना नहीं मिल सकती।

आइए हम श्री गुरदयालसिंहके मामलेपर भी एक सरसरी नजर डालें। उनके भाईने मुझे एक बड़ा लम्बा पत्र लिखा है उसे प्रकाशित करनेतक के लिए कह दिया है। चूंकि मुख्य-मुख्य तथ्य प्रार्थनापत्र में मौजूद हैं, इसलिए मैं पाठकोंके ऊब जानेके डरसे उस लम्बे पत्रको प्रकाशित नहीं कर रहा हूँ। मैं उसके केवल उन वाक्योंको उद्धृत करूँगा जो इस मामलेमें किये गये अन्यायको अति दिखलानेके लिए जरूरी हैं। उनके भाईका कहना है:

उन्होंने सिर्फ ६ अप्रैलको सभामें भाग लिया था, जो पूरी तौरपर वैधानिक और व्यवस्थित थी। १४ और १५ तारीखको वे बीमार पड़े थे। शहर के सबअसिस्टेन्ट सर्जन (सरकारी कर्मचारी) ने उनकी चिकित्सा की थी और एक नुस्खा भी लिखकर दिया था, जिसको मूल प्रति में इन कागजातके साथ भेज रहा हूँ।

मैंने यह नुस्खा देख लिया है।

एपेण्डिसाइटिससे अत्यंत पीड़ित होनेके कारण मेरे भाई उस तथाकथित उपद्रवकारी भीड़में शामिल नहीं हो पाये थे, जिसने तहसीलकी खिड़कियोंके काँच तोड़ दिये थे । इस्तगासेके गवाहोंने मेरे भाईके खिलाफ जो भी कहा है, उसके बारेमें मुझे इतना ही कहना है कि मेरे भाईको उन लोगोंके नाम नहीं बतलाये गये थे । उन लोगोंको उन्होंने पहली बार अदालतमें ही देखा था।
...सच तो यह है कि मेरे भाईको यह भी नहीं बतलाया गया था कि उन- पर कौन-से अभियोग लगाये गये हैं। उनका पता भी उनको इस्तगासेके गवाहोंकी जबानी ही लगा था।

मेरा मत है कि यदि यह बयान सही है तो श्री गुरदयालसिंहकी रिहाई इसीके बलपर हो सकती है। किसी भी अभियुक्तको उसपर लगाये हुए अभियोग बतलाये बिना मुकदमेकी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकती। उनको अपने ऊपर लगे हुए अभियोग पहलेसे जाननेका पूरा अधिकार था, इस्तगासेके गवाहोंके जरिये अभियोगोंका पता चलना बिलकुल ही गलत चीज है। फिर इस पत्र में इस्तगासेके गवाहोंके शिनाख्ती विवरणकी छानबीन करके दिखलाया गया है कि उनको अभियुक्तके साथ क्या शत्रुता थी। यह ठीक है कि जनता इस्तगासेके गवाहोंके बारेमें अभियुक्त द्वारा या अभियुक्तकी ओरसे दिये गये एकतरफा बयानोंकी बिनापर कोई नतीजा नहीं निकाल सकती, लेकिन यदि ये बयान सही हैं तो इनसे पता चलता है कि इस्तगासेके गवाहोंने काफी झूठी गवाही दी होगी। मैं मानता हूँ कि बन्दीकी ओरसे इस मामले में अपनी बात साबित करनेके लिए उतना अच्छा सबूत पेश नहीं किया गया है जितना कि कई दूसरे बन्दियों-