पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७७
याचिकाएँ इस तरह न लिखें

हमें याद रखना चाहिए कि यह मामला हाफिजाबादकी उस वारदात से ताल्लुक रखता है जिसमें हाफिजाबाद स्टेशनपर हुए एक हंगामे में कहा जाता है कि स्टेशनपर जमा भीड़ने लेफ्टिनेन्ट टैटमको अपनी शरारतका निशाना बनाया था। केसरमलको पहले फाँसीको सजा सुनाई गई थी, जो बादमें घटाकर दस वर्षकी जेल कर दी गई थी। उसकी पत्नी के प्रार्थनापत्र में कहा गया है: "महामहिमकी यह प्रार्थी अत्यधिक विनम्रताके साथ न्यायकी याचना करती है और उसका यही आग्रह है कि न्याय किया जाये।" उसने इसी आधारपर अपने युवा पतिकी रिहाईकी मांग की है। प्रार्थनापत्रमें उसकी इस माँग के आधार ये बतलाये गये हैं:

(१) इस्तगासेकी ओर से पेश किये गये सबूत में परस्पर विरोधी बातें कही गई हैं।
(२) केसरमलपर अभियोग लगाया गया है कि उसने लेफ्टिनेन्ट टैटमकी गोद से उनके बच्चेको छीनने की कोशिश की थी, परन्तु प्रार्थनापत्र के अनुसार पुलिसने कई बार केसरमलको श्री टैटमके सामने पेश किया था पर "श्री टैटमने हरबार अपना सिर हिलाकर बिलकुल साफ इनकार किया और हरबार कहा कि 'नहीं, मेरे बच्चेको छीनने की कोशिश किसीने भी नहीं की थी।"
(३) लेफ्टिनेन्ट टैटमने तो हमला करनेवालोंमें केसरमलकी शिनाख्त तक नहीं की।
(४) शिनाख्ती परेड वारदातके थोड़े ही अर्से बाद की गई थी।
(५) समाचार है कि लेफ्टिनेन्ट टैटमने कहा था: "आपके डिप्टी कमिश्नर लेफ्टिनेन्ट कर्नल ओ'बेरियन बहुत ही सख्त आदमी हैं और उन्होंने बिना जरूरत ही इस मामलेको इतना तूल देनेपर मुझे मजबूर कर दिया है।"
(६) प्रार्थनापत्र में पुलिसपर आरोप लगाया गया है कि उसने सारी कार्रवाईको अनावश्यक रूपसे एक दूसरा ही रंग दे दिया है।
(७) इस्तगासे के लगभग सभी गवाह सरकारी कर्मचारी - चपरासी, मुहर्रिर, रेलवे कर्मचारी, पुलिसके आदमी इत्यादि और फेरी लगानेवाले तथा हलवाई वगैरह थे, जिनको गवाही देनेपर मजबूर किया गया है।
(८) केसरमलके खिलाफ गवाही देनेवाले इस्तगासेके गवाहोंके या तो अपने पूर्वग्रह थे या वे "नतीजों" से डरते थे या पुलिसके कृपा-पात्र बनना चाहते थे।
(९) खुद लेफ्टिनेन्ट टैटमको केसरमल से कोई शिकायत नहीं थी। बशीर हैयातने कहा: "खिड़कीके काँच से सिर्फ केसरमल ही जख्मी हुआ था।" हवेलीरामने केसरमलकी शिनाख्त की थी, लेकिन कमीशनने उसके बारेमें कहा था: "देखने में बुरा आदमी - भरोसे के लायक नहीं।" वधवामलके बारेमें भी यही बात है। इस्तगासेका एक गवाह किशनदयाल भी था जिसके बारेमें कहा जाता है कि उसने झूठी गवाही दी थी और लेफ्टिनेन्ट टैटमने जो कहा था उसके बिलकुल खिलाफ बात कही थी। किशनदयाल केसरमलका एक मुँह-लगा मित्र बतलाया जाता है फिर भी उसने

१६-१२