पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१०६. धन्यवादका पत्र[१]

[सितम्बर २८, १९१९]

भाइयो और बहनो,

मेरी इक्यावनवीं वर्षगांठ के अवसरपर बधाईके अनेक तार, लिफाफे और पोस्ट-कार्ड मेरे पास आये हैं। मैं इस सारे प्रेमका प्रतिदान कैसे दे पाऊँगा? मैं अपनी कृतज्ञता किन शब्दोंमें व्यक्त करूँ? निःसन्देह मैं विवेक और बुद्धिमत्तापूर्वक दिये गये स्नेहकी कद्र करता हूँ और अंध-स्नेहको नापसन्द करता हूँ। इसलिए मुझे यह देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि मेरे प्रति अपने स्नेहको आपने कई जगह एक व्यावहारिक और लाभकारी रूप दिया है। भारतकी जनताकी अपार निर्धनताका में इतनी स्पष्टतासे अनुभव कर चुका हूँ कि मैं जब धनका अपव्यय होते देखता हूँ तब मुझे लगता है। कि वह धन गरीबोंसे ही छीना जा रहा है। तार इत्यादि भेजनेपर हम जितना व्यय करते हैं, वह धन यदि स्वदेशी खादी खरीदने पर खर्च किया जाये और उससे वस्त्रहीनोंको वस्त्र और बेसहारा लोगोंके लिए भोजन जुटाने की कोशिश की जाये, तो क्या वे दानदाताओंको आशीर्वाद नहीं देंगे? गरीबोंके अभिशापसे राष्ट्रके-राष्ट्र धूलमें मिल गये हैं; सम्राटोंके मुकुट और धनिकोंका धन छिन गया है। प्रतिकारात्मक न्यायकी गति अदम्य होती है। गरीबोंके आशीर्वादके बलपर साम्राज्य फूले-फले हैं।

मेरे प्रति स्नेह दरसानेका सच्चा तरीका यही है कि मेरे जो भी कार्य अनुकरणीय हों, उनका अनुकरण किया जाये। किसी व्यक्तिका सर्वोत्तम सम्मान यही होता है कि उसका अनुकरण किया जाये। मेरे जन्मदिनके अवसरपर कई लोगोंने स्वदेशीकी प्रतिज्ञा ली है। कई बह्नोंने अपने ही हाथसे कते सूतके कई पार्सल मेरे पास भेजे हैं। कइयोंने दलित वर्गोंकी सेवा करनेका व्रत लिया। अहमदाबाद स्वदेशी स्टोरके प्रबन्धकोंने कई कठिनाइयोंके बावजूद उस दिन वस्त्रोंकी कीमतें घटा दी थीं। सूरत में भी स्वदेशी भण्डारके प्रबन्धकोंने ऐसा ही किया है। जन्मदिन मनानेके ऐसे तरीके प्रबुद्ध स्नेहके लक्षण हैं और ऐसे जन्मदिवसोंका हर व्यक्ति सदा ही स्वागत करेगा जो हमें वर्तमान परिस्थितिसे आगे बढ़नेकी प्रेरणा दें।

भगिनी समाजने मुझे एक थैली भेंट करनेका निर्णय किया है। इससे मेरे ऊपर एक भारी दायित्व आ गया है। उसकी अपेक्षा है कि मैं उसे अच्छेसे अच्छे ढंग से इस्तेमाल करनेकी कठिनाईको हल करूँ। परन्तु अधिक सोच-विचार किये बिना ही में इतना तो कह ही सकता हूँ कि मैं उस राशिको भारतीय महिलाओंकी सेवाके ही किसी काममें लगाऊँगा। मैं उन भाई-बहनों का आभार मानूंगा जो मुझे इस राशिके इस्तेमाल के तरीकेके बारेमें अपनी सलाह देनेकी कृपा करेंगे।

  1. गांधीजीने २८-९-१९१९ के नवजीवनमें यह पत्र उन लोगोंको सम्बोधित करते हुए लिखा था जिन्होंने उनको जन्मदिन की बधाइया भेजीं थीं।