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नडियाद और बारेजडीपर जुर्माना

सरहद में हुई थी। सच बात यह है कि नडियाद की सीमासे काफी दूर पटरियोंको नुकसान पहुँचा था तथा तार काटे गये थे। इस दुष्कार्यमें भी नडियादवासियोंका हाथ होनेका संकेत कभी किसीने नहीं किया। फिर भी सरकार नडियादके सम्बन्धमें पूछे गये प्रश्न के उत्तर में १३ तारीखको हुई घटनाका हवाला दे, यह दुःखद बात है।

सरकारके पास भारी सत्ता है। राव बहादुरके एक अन्य प्रश्न के उत्तरमें सरकारने जो कुछ कहा उसमें उसने राव बहादुर और प्रजाको इस बातकी पूरी कल्पना दी है कि वह सत्ता कैसी है। एक निर्दोष प्रश्नका उत्तर सरकारने किस सफाई के साथ दिया है, यह दिखाने के लिए में इस प्रश्नोत्तरका अक्षरशः अनुवाद नीचे देता हूँ :

प्र०- नडियाद में जो अतिरिक्त पुलिस रखी गई है क्या उसका अर्थ यह नहीं कि यह पुलिस अपराध रोकनेके लिए नहीं वरन् सजा देनेके लिए है?
उ०– माननीय सदस्य १८९९ के बम्बई जिला पुलिस अधिनियमके खण्ड २५ (१) को देख लें । उस खण्डमें बताया गया है कि किन कारणोंसे अतिरिक्त पुलिस रखी जा सकती है?

बिना अशिष्टता किये यदि साफ-साफ शब्दोंमें कहा जा सके तो कह सकते हैं कि सरकारका यह उत्तर धृष्टतापूर्ण है। इसमें सत्ताके मदकी बू आती है। यह उत्तर कुटिलतापूर्ण है और यदि ग्रामीण भाषाका प्रयोग करें तो इसका अर्थ यह हुआ कि "हमें जो करना था सो किया, अब तुमसे बन पड़े सो कर लो"।[१]

सरकारी सत्ताके भारी बलके आगे बेचारा एक राव बहादुर क्या कर सकता है? सरकारका फर्ज था कि वह उनके स्पष्ट सवालका स्पष्ट उत्तर देती; और यदि सरकार सही तरीके से अपना बचाव नहीं कर सकती थी तो उसे अपनी भूल सुधार लेनी चाहिए थी। मेरा निवेदन है कि सरल भावसे भूल सुधार लेनेमें जो वजन है, जो गौरव है वह उत्तरदायित्वकी भावनासे शून्य धृष्ट व्यवहार तथा कुटिलतापूर्ण उत्तरमें नहीं है।

जनता इस किस्सेको यहींपर खत्म नहीं होने दे सकती। नडियाद और बारेजडीपर जुर्माना हुआ है - इसमें सिर्फ इतनी-सी बात नहीं है। इसमें न्यायका सरकारकी राजनीतिका प्रश्न समाया हुआ है। यह राजा और प्रजा दोनोंका ही फर्ज है कि वे न्याय बरतें तथा शुद्ध राजनीतिका व्यवहार करें तथा करवायें। यदि आज नडियाद है तो कल गुजरात और परसों सारा हिन्दुस्तान [इसका शिकार] हो सकता है। ऐसी राजनीति एक रोगके समान है और जिस तरह रोगके उभरते ही उसका उपचार किया जाना चाहिए वैसे ही प्रजाको ऐसा इलाज करना चाहिए जिससे अनीतिपूर्ण राजनीति तुरन्त खत्म हो जाये।

नडियादके नागरिकों तथा बारेजडीके जमींदारोंपर भारी जिम्मेदारी है। उन्हें सरकार और जनताके सम्मुख इस प्रश्नकी चर्चा अत्यन्त तत्परतापूर्वक करनी चाहिए। उन्हें सरकार द्वारा दिये गये वक्तव्योंमें जहाँ भी दोष दिखाई पड़ें वे बताने चाहिए।

  1. यह प्रश्नोत्तर यंग इंडियासे लिया गया है।