पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८५
लेखकोंसे विनती

गये थे, पंजाब आयोगमें भारतीय भी थे। उच्च न्यायालयका न्यायाधीश भी अपनी भावनाओंसे परिचालित हो, जाने-अनजाने अन्याय कर सकता है। भारतीय न्यायाधीश न्याय ही करता है, ऐसा दावा हम नहीं कर सकते। न्यायाधीशोंके नाम जाननेके बाद ही हमें पता चलेगा कि इससे हमें सन्तोष मिलेगा अथवा हमारी चिन्तामें वृद्धि होगी।

[ऐसी स्थिति में] हमारा एक कर्त्तव्य स्पष्ट है। सरकार चाहे जैसी और जितनी [छोटी या बड़ी] समिति नियुक्त करे, हम यदि ठीक-ठीक गवाही पेश न कर सके तो समिति क्या कर सकती है? और यदि लाला हरकिशनलाल जैसे व्यक्तिको कैदमें रहना पड़े तो वे सच्ची बात कैसे कह सकते हैं? जो लोग किसी निश्चित अपराधके कारण नहीं वरन् मुख्यरूपसे राजनैतिक कैदीको हैसियतसे ही गिरफ्तार किये गये हैं उनको छोड़ दिया जाना चाहिए। ऐसा हो तभी पंजाब में हुए मामलोंकी सही जाँच हो सकेगी।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, २८-९-१९१९

१०९. लेखकोंसे विनती

बहुत सारे लेखक हमें अपने लेख भेजते रहते हैं। उनके उत्साह तथा 'नवजीवन' के प्रति उनके प्रेमके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। हमारे मतानुसार जिन लेखोंको पढ़नेके लिए जनता उत्सुक रहती हैं उन्हें हम अवश्य स्थान देंगे। सब लेखकोंको हम अलग से पत्र नहीं लिख सकते इसलिए हम कुछ एक सूचनाएँ यहीं दिये देते हैं।

फिलहाल हम निबन्धोंको अधिक जगह नहीं देना चाहते। ख्याति प्राप्त विद्वानोंकी ओरसे हमें जब-जब लेख मिलते रहेंगे तब-तब हम उन्हें प्रकाशित करते रहेंगे। जनताकी मुख्य आवश्यकता अच्छे विचारोंकी नहीं बल्कि अच्छे कार्योंकी है। यदि हमारा उद्देश्य जनताके सम्मुख अच्छेसे अच्छे विचारोंको ही प्रस्तुत करना हो तो हम प्राचीन ग्रन्थोंके सुन्दर अनुवादसे 'नवजीवन'को भर सकते हैं। जनता इनसे ऊब गई जान पड़ती है। इसलिए जिन-जिन विचारोंपर अमल किया जा चुका हो जनताके सामने उनका उदाहरण रखकर हम उनपर उसका विश्वास जमानेका प्रयत्न कर रहे हैं। तदनुसार हम जनताके सामने ऐसे ही अनुभव पेश करना चाहते हैं, जो उसके लिए उपयोगी हों। इस कारण जनतामें जो लोग शुद्ध भावनासे कोई भी कार्य कर रहे होंगे उनके कार्योंके वर्णनको 'नवजीवन' में स्थान मिलेगा।

लेखकोंको सम्पादक तथा बेचारे गरीब कम्पोजीटरोंपर दयादृष्टि रखनी चाहिए। इसलिए लेखकों को कागजके एक ओर ही लिखना आवश्यक है। लेखक जो लेख भेजते हैं उन्हें हम फिरसे नहीं लिख सकते इसलिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपना लेख यथासम्भव सुन्दर अक्षरोंमें लिखकर भेजें। कुछ लोग यह मानते हैं कि गुजराती भाषामें चाहे जैसे अक्षर लिखनेसे काम चल जायेगा। यह मातृभक्तिकी न्यूनताका द्योतक है। अपनी भाषाको साफ और सुन्दर अक्षरोंमें लिखनेका हमें अभिमान होना चाहिए। चाहे जैसे अक्षर लिखने में शर्म आनी चाहिए। खास तौरसे जब हम प्रकाशनार्थ लेख