बन पड़ेगा, अवश्य करेंगे। मैं जानता हूँ कि आप इस मामलेको फौरी मानेंगे और यदि आप मेरी दलीलसे सहमत हों तो आवश्यक आदेश जारी कर देंगे।[१]
हृदयसे आपका,
हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६९०४) की फोटो नकलसे।
११५. पत्र : वाइसरायके निजी सचिवको
साबरमती
सितम्बर ३०, १९१९
परमश्रेष्ठ वाइसरायके निजी सचिव
जैसा कि परमश्रेष्ठको विदित होगा, मेरे खिलाफ कुछ आदेश लागू हैं, जिनमें अन्य बातोंके अलावा मेरे पंजाब जाने और बम्बई प्रान्त छोड़नेपर भी रोक लगी हुई है। अबतक तो इन आदेशोंके वापस ले लिये जानेकी मुझे कोई चिन्ता नहीं रही - कारण भले ही इतना भर रहा हो कि जबतक सरकार रौलट अधिनियमको विधि-संहितामें बनाये रखनेपर तुली हुई है तबतक तो मेरी सविनय अवज्ञाको, वास्तविक अथवा सामान्य रूपमें, जारी रहना ही है। लेकिन अब स्थिति कुछ बदल गई है। मेरी नम्र सम्मतिमें, आगामी समितियोंके अपनी बैठकें प्रारम्भ करनेके अवसरपर और उससे कुछ पहले मेरा पंजाबमें रहना आवश्यक है। मैं यह कह सकता हूँ कि मेरी उपस्थितिसे सत्यका उद्घाटन करने में सहायता ही मिलेगी। पंजाबके लोगोंका फौरी तकाजा है कि जाँचसे पूर्व और जाँचके समय मैं उस प्रान्तमें रहूँ। देखता हूँ, मेरे नामके साथ इतनी अधिक घटनाओंका सम्बन्ध जोड़ दिया गया है कि स्वभावतः जाँचकी कार्रवाईमें मेरी
- ↑ जी० ई० चैटफील्डने इसके उत्तर में उसी दिन लिखा था: "मेरा खयाल है कि मिल मजदूरोंसे अलग-अलग और सामूहिक चन्देके रूपमें यह रकम प्राप्त करनेके सिद्धान्तसे मैं शायद सहमत नहीं हो सकता और न ही मान सकता हूँ कि उनके साथ बातचीत किये बिना उनपर जुर्माना करना अनुचित है। मैं आपके दृष्टिकोणको समझता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि आप भी मेरे दृष्टिकोणको समझेंगे और यह भी देख सकेंगे कि इन दोनोंमें अन्तर होना क्यों अनिवार्य है।" कलक्टर इस बातसे सहमत था कि जुर्माना जैसे समय में लगाया गया था वह ठीक नहीं था, लेकिन साथ ही उसका यह भी खयाल था कि देर होनेसे और भी खतरा पैदा हो सकता है। उसने लिखा था कि मैं ऐसी व्यवस्था कर रहा हूँ जिससे कोई उपद्रव न हो और गांधीजीसे अनुरोध किया था कि शान्ति बनाये रखने के लिए वे मिल मजदूरोंपर अपने प्रभावका उपयोग करें।