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११९. तार : बम्बईके गवर्नरके निजी सचिवको

लैबर्नम रोड
[बम्बई
अक्तूबर १, १९१९][१]

महामहिमके निजी सचिव
पूना

अप्रैल के उपद्रवोंके सम्बन्धमें अहमदाबाद से आठ लाख रुपये वसूल करनेका आदेश जिसमें से एक लाख पचहत्तर हजार[२] मिल मजदूरोंसे। यह रकम मिल-मालिकोंके मारफत वसूल करानेका आदेश। पिछले महीनेकी २९ तारीखतक इतनी रकम जमानतकी रकम में से जिला मजिस्ट्रेटके पास जमा करानी थी। सुना है मिल-मालिक वेतन दिवसपर मजदूरोंके वेतनसे पैसे काटकर अपनी जिम्मेदारीसे बरी होना चाहते हैं। यह महीना हिन्दू मुसलमान दोनोंके त्योहारोंका पड़ेगा। यद्यपि इसे जानबूझकर नहीं चुना है, फिर भी मजदूर समझेंगे कि इसे उनकी भावनाओंको चोट पहुँचाने के लिए ही चुना गया है। इसके अलावा मेरी नम्र सम्मतिमें मजदूरोंसे बिना कहे सुने एकाएक उनसे रकम वसूल करानेका उनके मनपर बुरा प्रभाव पड़ेगा। जबरदस्ती वसूल करनेकी कोशिश से पहले सीधे वसूल करके देखना चाहिए। कलक्टरको भी यही सुझाया, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। सादर निवेदन कि महामहिम कमसे-कम हिन्दुओंके नव वर्षतक के लिए वसूली मुल्तवी करवा दें। मजदूरोंसे वसूली के खिलाफ और खासकर जितनी रकम और जिस तरीके से वसूल करनी है उसके खिलाफ अपनी दलीलें देते हुए पत्र लिखने का भी मेरा इरादा है।

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे ( एस० एन० ६९०६ ) की फोटो-नकलसे।

करानेका कोशिश से दें।

  1. अक्तूबर ४, १९१९ को एन० पी० कॉवीको लिखे गांधीजीके पत्रके अनुसार उन्होंने बुधवार यानी १ अक्तूबरको यह तार भेजा था।
  2. यहाँ छिहत्तर हजार होना चाहिए। देखिए "मजदूरोंपर जुर्माने", ४-१०-१९१९