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प्रार्थना और उपवास

मजदूरोंके प्रति किये गये अन्यायको दूर किया जायेगा। उनपर किये गये जुर्मानेकी रकम बहुत ही बड़ी है। उसे कम किया जाना चाहिए। स्त्रियों और बालकोंको जुर्मानेसे मुक्त कर देना चाहिए, वसूली छोटी-छोटी रकमोंके रूपमें कई किस्तोंमें की जाये। मजदूरोंकी बहुत बड़ी संख्यासे एक साथ किस्तों में जुर्माने की रकम उगाहने में कठिनाइयाँ उपस्थित होती हैं, मैं इसे मानता हूँ। परन्तु यह कठिनाई उस अन्यायकी तुलनामें नगण्य है जो हजारों मनुष्योंपर किया गया है। आतंकित करनेवाला दंड अपराध करनेवालोंसे अपराध छुड़वानेका सबसे अच्छा तरीका हरगिज नहीं है और इस मामलेमें तो दण्ड चुकानेका भार अनेक निर्दोष व्यक्तियोंपर पड़ेगा।

अधिकारी स्थितिकी गम्भीरता समझ गये हैं क्योंकि उन्होंने अहमदाबाद के लिए खास पुलिस मँगवा ली है और सरकार मजदूरों द्वारा अशान्ति तथा उद्दण्डता न होने पाये तथा उन्हें पूरी तरह दवानेके लिए असाधारण व्यवस्था कर रही है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ४-१०-१९१९

१२७. प्रार्थना और उपवास

यद्यपि पंजाब सरकारने जनताके उत्साह और साहसको कुचलनेका भगीरथ प्रयत्न किया है तथापि प्रार्थना, उपवास और हड़ताल आदि विधियाँ अत्यन्त प्राचीनकाल से चली आ रही हैं और उन्हें रोकना असम्भव है। सरकारने फैसलोंके रूपमें जो मोटे-मोटे पोथे प्रकाशित किये हैं उनमें से लिये गये दो उद्धरणोंसे जिनमें मार्शल लॉ आयोगों और समरी अदालतों द्वारा दी गई सजाएँ भी शामिल हैं, प्रकट हो जाता है - यद्यपि अस्पष्ट रूपसे ही - कि पंजाबके लोगोंपर इन विगत चन्द महीनोंमें क्या बीती है। जिन कुछ एक खास मुकदमोंके कागजात मैंने देखे हैं उन्हें पढ़कर इन सजाओंके न्यायसम्मत होनेके सम्बन्धमें मेरा विश्वास उठ गया है। कोड़े मारनेसे सम्बन्ध रखनेवाला हुक्म अत्यन्त क्षोभप्रद है और १८ मृत्युदण्ड भी उसी प्रकार सन्तापदायक हैं। यदि यह प्रमाणित हो गया कि ये सजाएँ न्यायसम्मत नहीं हैं तो उनका उत्तरदायित्व किसपर होगा?

परन्तु सजाएँ दी जायें चाहे न दी जायें, लोगोंका उत्साह और साहस अखंड और अजेय है। लखनऊ में आयोजित सम्मेलनने यह घोषणा की है कि आगामी शुक्रवारके दिन अर्थात् १७वीं तारीखको, लोग उपवास रखें और खुदाकी इबादत करें। उस दिनका कार्यक्रम शीघ्र ही व्यवस्थित कर दिया जायेगा। वह दिन 'खिलाफत दिवस' के नामसे प्रसिद्ध होगा। श्री एन्ड्रयूजके पत्रसे साफ तौरपर मालूम हो जाता है कि खिलाफतका मसला क्या है और मुसलमानोंकी माँगें कितनी न्यायपूर्ण हैं। मेरे इस प्रस्तावसे श्री एन्ड्रयूज सहमत हैं कि अगर टर्कीके साथ न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं किया जा सकता तो श्री मॉण्टेग्यु और लॉर्ड चेम्सफोर्ड दोनोंको अपने पदोंसे इस्तीफा दे देना चाहिए। परन्तु त्यागपत्रों और विरोधात्मक प्रस्तावोंकी अपेक्षा प्रार्थना अधिक