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१३२. पत्र : मगनलाल गांधीको

बुधवार [अक्तूबर ५, १९१९ या उससे पूर्व][१]

चि० मगनलाल,

एक प्रेस खरीदना है इससे चि० छोटालालको तुरन्त भेज दिया गया है। तुम डायमन्ड प्रेसवाले भाई पोपटलालके साथ प्रेस देखने जाना, [उसकी] एक तालिका बनाना। मशीन आदिकी ठीक-ठीक जाँच करना, सब मशीनें चलाकर देखना। देखना कि कहीं टाइप पुराना तो नहीं पड़ गया है। और यदि सब-कुछ ठीक लगे तो सौदा कर लेना। सौदा भाई शंकरलाल बैंकरके नामपर किया जाना है। प्रेसको छ: हजार रुपये में बेचनेका प्रस्ताव किया गया है। उसमें एक डबल रायल मशीन, दो ट्रेडिल, एक हैन्डकेस और टाइप है। जैसा कि तारसे पता चलता है, गुजराती और अंग्रेजी टाइप इतना है कि 'नवजीवन' तथा 'यंग इंडिया' दोनों पत्र प्रकाशित किये जा सकते हैं। में पत्रके साथ तार[२] नत्थी कर रहा हूँ। कदाचित् मशीनकी जाँच करने यहाँसे विशेषज्ञ भी जायेगा। आये, तो उसे साथ रखना। इस पत्रके प्राप्त होते ही तुरन्त शहर जाना।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७७२) से। सौजन्य : राधाबेन चौधरी

१३३. आगामी गुजरात राजनीतिक परिषद्

स्वागत समितिने आदरणीय गोकुलदास कान्हदास पारेखको सूरतमें होनेवाले आगामी अधिवेशनमें अध्यक्ष चुना है, इसके लिए हम इन दोनोंको बधाई देते हैं। आदरणीय पारेखने गुजरातकी असाधारण सेवा की है। जिस समय सार्वजनिक सेवा करनेके लिए बहुत ही थोड़े गुजराती तैयार होते थे अथवा जब लोग अपने विचारोंको सरकारके सम्मुख प्रकट करने में डरते थे, उस समय आदरणीय पारेख महोदय सरकारसे जूझते और उसके सामने लोकमतको प्रस्तुत किया करते थे। आजकल हमारे यहाँ ऐसी हवा बहने लगी है कि यदि बुजुर्ग, प्रत्येक बातमें युवा और उठती हुई पीढ़ीका साथ न दे सकें अथवा उनसे अपना मतभेद व्यक्त करें तो उन्हें इस नई पीढ़ीके लोग बिल्कुल निकम्मा मान बैठते हैं और उनकी पिछली सेवाओंको भूल

  1. यंग इंडिया साप्ताहिकका प्रथम अंक अहमदाबादसे ८ अक्तूबरको निकला था। उससे पहलेक बुधवार ५ अक्तूबर, १९१९ को पड़ता है।
  2. यह उपलब्ध नहीं है।