पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२६९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३५
परिपत्र

प्रकारका प्रोत्साहन न दिया जाये और न उन लोगोंसे ही काम रोकनेको कहा जाये जो सार्वजनिक स्वास्थ्य-सफाईका काम करते हैं।

मैं यह आशा करनेकी धृष्टता करता हूँ कि सरकार इस अवसर के अनुरूप ऊपर उठनेकी कोशिश करेगी। वह यह भी कर सकती है कि जनताकी माँगको अपनी माँग बना ले और सम्राट्के मन्त्रियोंसे कह दे कि हम खिलाफतके प्रश्नको एक पवित्र जिम्मेदारी मानते हैं जिसके साथ धोखा नहीं किया जा सकता। लेकिन सरकार इतनी दूरतक जाये या न जाये लेकिन वह सभी सरकारी अधिकारियोंको यह निर्देश तो दे ही सकती है कि वे आगामी शान्तिपूर्ण प्रदर्शनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूपमें हस्तक्षेप न करें।[१]

आपका,

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

बॉम्बे क्रॉनिकल, १३-१०-१९१९

१४४. परिपत्र[२]

साबरमती
अक्तूबर १०, १९१९

आशा है आपने १७ तारीखके प्रदर्शनके सम्बन्धमें मेरा सार्वजनिक पत्र[३] और ४ अक्तूबर, १९१९ के 'यंग इंडिया' में मेरी तत्सम्बन्धी टिप्पणी देखी होगी। मैं तो सम-

  1. खिलाफत-दिवसके संयोजकोंने उसी दिन एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें कहा गया था : "महात्मा गांधीने सलाह दी है कि हिन्दुओंके लिए यह अनिवार्य है कि वे १७ अक्तूबरको अपनी दुकानें और कारोबार बन्द रखकर वह दिन प्रार्थना और विरोध दिवसके रूपमें मनायें और इस प्रकार अपने मुसलमान भाइयोंके साथ अपनी सहानुभूति व्यक्त करें।" बॉम्बे सीक्रेट एन्स्ट्रेक्ट्स, १९१९ के अनुसार सत्याग्रह सभा उपर्युक्त पाठकी ३०,००० प्रतियाँ छपवाकर वितरित करनेके लिए तैयार कर रही थी लेकिन इन छपी हुई प्रतियोंमें १२ घंटेका उपवास रखनेको सलाह दी गई थी।
  2. यह "१७ अक्तूबरके सार्वजनिक प्रदर्शनके दिशा-निर्देशके लिए परिपत्र" के रूपमें प्रकाशित हुआ था और निम्नलिखित व्यक्तियोंको भेजा गया था : राजगोपालाचारी; कस्तूरी रंगा आयंगार; नटेसन; डॉ० राजन्, त्रिचनापल्ली; जोज़ेफ, बैरिस्टर, मदुरा; हरिलाल गांधी, कलकत्ता; सत्यानंद बोस, कलकत्ता; स्वामी श्रद्धानन्द; पंडित मोतीलाल नेहरू; प्रोफेसर जे० बी० कृपलानी, इलाहाबाद; राजेन्द्रप्रसाद; ब्रजकिशोर बाबू; जमशेदजी मेहता, कराची; दुर्गादास अडवानी, कराची; डा० चोषथराम गिडवानी, हैदराबाद (सिंध); कृष्णलाल ए० देसाई, दिल्ली; पंडित सुन्दरलाल, इलाहाबाद; जवाहरलाल नेहरू, बैरिस्टर, इलाहाबाद; पंडित कुंजरू, आगरा, पंडित बी० डी० शुक्ल, जबलपुर, सी० एफ० एन्ड्यूज, लाहौर; बी० ए० सुन्दरम् ट्रिप्लिकेन; देवदास गांधी; जी० एस० अरुंडेल, गंगाधरराव देशपांडे, बेलगाँव; खाडिलकर, केसरी कार्यालय, पूना; एस० वी० वझे, सर्वेटस ऑफ इंडिया सोसाइटी, पूना; गोकर्णनाथ मिश्र, हरकर्णनाथ मिश्र, लखनऊ। यह पत्र अखवारोंको भी प्रकाशनार्थ भेजा गया था।
  3. देखिए "पत्र : अखबारोंको”, १०-१०-१९१९।