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टिप्पणियाँ

चलना चाहिए और शाही विधान परिषद् में राष्ट्रीय भाषा अर्थात् हिन्दुस्तानीमें काम-काज चलना चाहिए। इस आन्दोलनकी शुरूआत कांग्रेस और सम्मेलनोंसे होनी चाहिए। कांग्रेसको यदि अपना सन्देश करोड़ोंके पास पहुँचाना है तो वह सन्देश अंग्रेजी भाषा में कदापि नहीं पहुँचाया जा सकता, केवल हिन्दुस्तानीकी मार्फत ही पहुँचाया जा सकता है।

बारेजडीपर जुर्माना

बारेजडीमें नियुक्त की गई अतिरिक्त पुलिसके खर्चके लिए लोगोंसे ७,२०० रुपये उगाहनेका सरकारने जो आदेश दिया था उसके विरुद्ध दिया गया प्रार्थनापत्र हमने अन्यत्र प्रकाशित किया है। इस प्रार्थनापत्रको किसी वकीलने तैयार नहीं किया है, यह बात उसे पढ़ने पर साफ तौरसे समझमें आ जाती है। आवेदकोंने युक्तियुक्त उदाहरण और दलीलें पेश नहीं की हैं, बल्कि अपने उद्गारोंको उन्होंने जैसी भाषा उन्हें आती है वैसी ही भाषामें लिख डाला है। हम बारेजडीके लोगोंको उनके इस कार्यपर बधाई देते हैं। हम प्रार्थनापत्रकी कीमत समझते हैं। जिन लोगोंको कष्ट पहुँचता है वे लोग इसी तरह अपना आर्तनाद सरकार और जनताके कानोंतक पहुँचा सकते हैं। ऐसे कार्य में वकीलोंकी अथवा लम्बे-चौड़े आवेदनपत्र लिखे जानेकी जरूरत नहीं है। जिसके पाँवमें काँटा चुभा हुआ हो वह अपना दुःख जितने जोरदार शब्दों में प्रगट कर सकता है उतना कोई और व्यक्ति नहीं कर सकता। हमें इतनी ही सावधानी बरतने की जरूरत है कि हम तथ्योंको उनके असली रूपमें लोगोंके सामने रखें और ऐसा करते हुए अतिशयोक्तिसे काम न लें। सत्यको शब्दाडम्बरकी क्या जरूरत? बारेजडीका मामला सीधा है। मुद्दा छोटा और बिलकुल साफ है।

हमने अपराध नहीं किया; हमारे यहाँ दो बार अकाल पड़ा; हमारी स्थिति सरकार द्वारा लगाया गया जुर्माना भरने योग्य नहीं है। हमारे यहाँ अतिरिक्त पुलिसकी आवश्यकता नहीं है; इसलिए हमारे ऊपर ७,२०० रुपये- के जुर्माने[१] का यह बोझा नहीं होना चाहिए। सरकार हमारे आचरणको जाँच करना चाहे तो कर सकती है।

यह सीधा न्याय है। नडियाद के बारेमें विचार करते समय हम बारेजडी के विषय में भी लिख चुके है; इसपर टीका-टिप्पणीकी आवश्यकता नहीं है। हमें उम्मीद है कि सरकार प्रार्थियोंके प्रार्थनापत्रपर पूरा-पूरा ध्यान देगी और विधान परिषद् में गुजरात राज्य तथा अन्य राज्योंकी ओरसे नियुक्त गैर-सरकारी सदस्य इस कार्यका बीड़ा उठा लेंगे तथा निर्दोष जमींदारोंको न्याय प्राप्त कराने में हाथ बँटायेंगे।

रौलट अधिनियमके विरुद्ध प्रार्थनापत्र

हम अखिल भारतीय होमरूल लीग द्वारा प्रकाशित प्रार्थनापत्रकी ओर पाठकोंका ध्यान आकर्षित करते हैं। इस प्रार्थनापत्रमें रौलट अधिनियम के विरुद्ध उठाये गये मुख्य-मुख्य मुद्दोंको प्रकाशित किया गया है। सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि प्रजा एकमतसे

  1. देखिए "नडियाद और वारेजडीपर जुर्माना", २८-९-१९१९।