पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

रौलट अधिनियमोंको नापसन्द करती है। इन कानूनों को रद करवानेके लिए जनताको जो आन्दोलन करना पड़ा है और दुःख उठाने पड़े हैं, यदि ये कानून फिर भी रद नहीं किये जाते तो जनताका स्वाभिमान घटेगा और सरकारका निरंकुशतापूर्ण रवैया बढ़ेगा और लगभग असह्य हो जायेगा। हमें आशा है कि रौलट अधिनियम के विरुद्ध इस प्रार्थनापत्र पर बहुत सारे व्यक्ति हस्ताक्षर करेंगे। इसपर ब्रिटिश भारतमें बसनेवाले सभी भारतीय हस्ताक्षर कर सकते हैं और हम आशा करते हैं सभी वयस्क स्त्री-पुरुष उसपर हस्ताक्षर करके उसे होमरूल लीगके पास भेज देंगे।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, १२-१०-१९१९

१५०. तार : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

अहमदाबाद
अक्तूबर १३, १९१९

सी० एफ० एन्ड्रयूज

फीरोजपुर रोड

लाहौर

काठियावाड़ से अभी-अभी लौटा हूँ। यदि तुम बीच नवम्बर या उसके बाद भी रवाना हो जाओ तो भी देर न होगी।[१]

गांधी

[अंग्रेजीसे]

बॉम्बे गवर्नमेंट रेकर्डस

१५१. भाषण : अहमदाबादके गुजरात कॉलेज में[२]

[अक्तूबर १३, १९१९]

अध्यक्ष महोदय, बहनो और भाइयो,

जो अंग्रेज भाई और बहनें आज यहाँ आये हैं वे मुझे [इस बात के लिए] क्षमा करेंगे कि मैं अपनी ही भाषामें बोल रहा हूँ। आनन्दशंकरभाईके बारेमें मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है। उनके प्रति प्रीतिसूचक उद्गारोंको व्यक्त करना न तो मुझे अच्छा लगेगा और न उन्हें ही। फिर भी कुछ-न-कुछ कहना में अपना कर्त्तव्य समझता हूँ। विद्यार्थियोंने उन्हें जो मानपत्र दिया है उसमें लिखा है: "हालाँकि आप

  1. एन्ड्रयूजका इरादा स्थिति-निरीक्षणके लिए दक्षिण आफ्रिकाकी यात्रा करनेका था।
  2. यह भाषण प्रोफेसर मानन्दशंकर ध्रुवके बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में सह-उप-कुलपति नियुक्त किये जानेपर उनके सम्मान में दिये गये विदाई समारोहके अवसरपर दिया गया था।