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१५४. पत्र : रवीन्द्रनाथ ठाकुरको

आश्रम
साबरमती
अक्तूबर १८, १९१९

प्रिय गुरुदेव,

अहमदाबाद में दिसम्बर में एक साहित्य सम्मेलन होगा। उसकी तारीखें १३, १४ और १५ दिसम्बर हैं।[१] आयोजकोंकी प्रबल इच्छा है कि आप इस अवसरको अपनी उपस्थितिसे शोभायमान करें और मैं आशा करता हूँ कि यदि आप किसी भी प्रकार समर्थ होंगे तो गुजरातको निराश नहीं करेंगे।

यह आपका सौजन्य था कि आपने एन्ड्रयूजको दक्षिण आफ्रिका जानेकी अनुमति दी। मुझे अभी-अभी उनका तार मिला है कि वे जानेके लिए स्वतन्त्र हैं। इससे मुझे काफी तसल्ली हुई है और मुझे विश्वास है कि उनके वहाँ[२] जानेसे सर्वोत्तम लाभ होगा।

मुझे आशा है कि आप स्वस्थ होंगे।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

हस्तलिखित मूल अंग्रेजी पत्र (जी० एन० ४६२५) की फोटो-नकलसे।

१५५. पत्र : यू० के० त्रिवेदीको[३]

[अक्तूबर १८, १९१९ के बाद]

प्रिय महोदय,

आपका पत्र[४] मिला।

मेरी सलाह है कि आप संलग्न तार[५]जोहानिसबर्ग भेज दें। मेरी यह भी सलाह है कि आप वाणिज्य और उद्योग विभागको पत्र लिखें। और उनका ध्यान आकृष्ट करें कि [प्रवासियोंको] भूमिके स्वामित्व और व्यापारके अधिकारसे वंचित करनेके

  1. यह तारीख याद में कविवर की सुविधानुसार आगे बढ़ा दी गई थी।।
  2. दक्षिण आफ्रिका।
  3. सहायक मंत्री, साम्राज्यीय नागरिक संघ।
  4. यह पत्र १८ अक्तूबरका था। इसके साथ दक्षिण आफ्रिकाले प्राप्त अस्वातका तार संलग्न था जिसमें उन्होंने गांधीजीकी सलाह माँगी थी।
  5. उपलब्ध नहीं है