पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२५०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्पूर्ण प्रश्नकी छानबीन की जाये। यह विषय जरा नाजुक है। समस्त दक्षिण आफ्रिकामें सम्पूर्ण राजकीय और व्यापारके प्रश्नकी छानबीनके लिए जोर देना तो व्यर्थ होगा। आयोग के विषयमें चिन्ता की कोई बात नहीं क्योंकि श्री शास्त्रियरकी नियुक्ति लगभग निश्चित है।

आपका विश्वस्त,

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें पेंसिलसे लिखे मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ६४८४) से।

१५६. जगत् का पिता - ३

मैंने [पिछले अंकमें] सूचित किया था कि ग्राम-व्यवस्था सुधारनेके सम्बन्धमें, मैं अपने कुछ अनुभव प्रकाशित करूंगा। डॉक्टर हरिप्रसादने बहन निवेदिता[१] द्वारा कलकत्तेके एक कूचेके सुधारका वर्णन करके यह सिद्ध कर दिखाया है कि यदि एक भी स्त्री अथवा पुरुष चाहे तो कितना-कुछ कर सकता है। गाँवमें ऐसे काम करना शहरोंके गली-कूचोंका सुधार करनेसे कहीं अधिक आसान है। चम्पारनमें[२] जब स्वावलम्बी पाठशाला खोले जानेका निश्चय किया गया था उस समय मैने स्वयंसेवकोंकी माँग की थी। वहाँ आये हुए स्वयंसेवकोंमें स्वर्गीय डॉक्टर देव और बेलगांवके श्री सोमण वकील थे। इन स्वयंसेवकोंको सिर्फ तीन काम सौंपे गये थे। जो लड़के और लड़कियाँ आयें उन्हें पढ़ाना, ग्रामवासियोंको गाँवके आसपास के रास्ते और घर आदि साफ रखनेके बारेमें समझाना सिखाना तथा रोगियोंको दवा इत्यादि देना। श्री सोमणको भीतिहरवा नामक एक गाँवमें भेजा गया था। डॉक्टर देवको उन सभी गाँवोंमें दवाका प्रबन्ध करनेके लिए नियुक्त किया था, जहाँ हमने पाठशालाएँ खोली थीं। उन्हें भीतिहरवाकी पाठशालामें अधिक समयतक रहनेका अवसर मिला। वहाँके लोगोंको सुधारादिके सम्बन्धमें राजी करना मुश्किल काम था। डॉक्टर देवने लोगोंको बताया कि उन्हें कौन-कौनसे सुधार करने चाहिए लेकिन ग्रामवासियोंने उनकी बात नहीं सुनी। बात रास्तोंको साफ करने और कुऍके आसपासको सारी कीचड़ हटाकर चबूतरा बनानेकी थी। आखिरकार डॉक्टर देव और श्री सोमणने हाथमें कुदाली पकड़ी तथा कुएँके आसपास चबूतरा बनाना तथा रास्तोंको साफ करना आरम्भ किया। काम प्रारम्भ होते ही बात इस छोटेसे गाँव में बिजलीकी तरह फैल गई। ग्रामवासियोंने डॉक्टर देवके वचनोंके मर्मको समझा। डॉक्टर देवके कार्य में जो बल था वह उनके वचनोंमें नहीं था। ग्रामवासी स्वयं भी सफाई करनेके लिए निकल पड़े और तबसे भीतिहरवाके रास्ते और कुएँ सुन्दर दिखाई देने लगे। कूड़ेके ढेर लुप्त हो गये। इस बीच फूसकी जो पाठशाला बनाई गई थी, वह किसी उपद्रवी द्वारा जला दी गई। अब क्या किया जाये, यह एक

  1. भगिनी निवेदिता (१८६७-१९११ ); स्वामी विवेकानन्दकी शिष्या एक अमरीकी महिला।
  2. देखिए खण्ड १४, १४ ९३-९४।