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गुजरातकी भेंट

संस्कृत साहित्यका अपूर्ण अथवा गलत अनुवाद मिलता है। ऐसे समय आनन्दशंकरभाईने जो कुछ दिया है वह प्रकाशस्तम्भके समान है। इनके द्वारा किये गये अर्थोके सम्बन्ध में बेईमानी, अज्ञान, उतावली अथवा आलस्यका दोषारोपण किया जाना सम्भव ही नहीं है। उन्होंने जो कुछ भी लिखा है वह शुद्ध बुद्धिसे - केवल सत्य मानकर निष्पक्ष और उदार मनसे लिखा है। इस कारण जनता उसे निर्भयतापूर्वक ग्रहण कर सकती है।

उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन और सार्वजनिक कार्यों में जिस चारित्र्यका परिचय दिया है, व्यक्तिगत जीवनमें उनके सम्पर्क में आनेवाले लोगोंको भी उसी चारित्र्यके दर्शन हुए हैं। अपने चरित्रबलके कारण वे पुरानी और नई पीढ़ीको प्रभावित कर सके हैं। प्राचीन विचारों, पद्धतियों और रूढ़ियोंका मान करते हुए भी इन्होंने आधुनिकताकी [उचित] तरंगों और उत्साहको कभी नहीं रोका। दोनोंमें से अतिशयताके दोषको निकालनेका प्रयत्न किया है। जैसा कि विद्यार्थियोंकी ओरसे दिये गये मानपत्र में कहा गया है, गुजरात राज्यने आजतक प्रो० ध्रुवकी सेवाओंका पर्याप्त उपयोग नहीं किया। उनके पास पड़े हुए अमूल्य खजानेसे हमने पूरा-पूरा लाभ नहीं उठाया। हमने उन्हें पूर्णरूपेण नहीं पहचाना।

अब आप अपेक्षाकृत एक विशालतर क्षेत्रमें प्रवेश कर रहे हैं। काशी विश्वविद्या- लय अभी एक बहुत छोटा शिशु। इसके पिता हिन्दू धर्मके आचार्य तुल्य, यथा नाम तथा गुण, देशभर में विख्यात पं० मदनमोहन मालवीय हैं। इस एक ही पुरुषके प्रयत्नसे लगभग एक करोड़ रुपया इकट्ठा हो गया है और इस एक पुरुषके प्रयत्नसे विश्वविद्यालय अस्तित्वमें आया है। लेकिन विश्वविद्यालय रूपी यह शिशु अभी चलना नहीं सीखा है; सिर्फ घुटनोंके बल चलता है। इसके लिए एक अभिभावककी जरूरत है। पंडितजी इसकी खोजमें थे। विश्वविद्यालय चलानेमें अनेक प्रकारके विघ्नोंका सामना करना पड़ता है; इसके अतिरिक्त जहाँ धर्मको उसका उचित स्थान दिया जाता है वहाँ धार्मिक पुरुषोंकी जरूरत बनी ही रहती है। पंडितजीको ऐसा पुरुष गुजरात से मिला, इसके लिए गुजरात गर्वका अनुभव कर सकता है। आनन्दशंकरभाईके चातुर्य, गाम्भीर्य, प्रामाणिकता, सरलता, उदारता और उनकी शान्त प्रकृति आदि गुणों का इस विश्वविद्यालय में अच्छा उपयोग हो सकेगा। गुजरातकी इस अनुपम भेंटके लिए तथा विश्वविद्यालयको [इसकी प्राप्तिके लिए] हम बधाई देते हैं और हमें विश्वास है कि आनन्दशंकरभाई इस नये और विशाल क्षेत्रमें देशकी अच्छी सेवा कर सकेंगे। हमारी प्रार्थना है कि ईश्वर इन्हें दीर्घायु करे और इस कठिन कार्यको सम्पन्न करनेकी पूरी शक्ति प्रदान करे।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, १९-१०-१९१९