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१६५. पत्र : मगनलाल गांधीको

[अक्तूबर २३, १९१९]

चि० मगनलाल,

साथवाले पत्रको[१] पढ़ लेना और कुमारी फैरिंगके लिए जो व्यवस्था करनी उचित जान पड़े सो करना। मेरा ख्याल है कि नरहरिका अन्तिम वाक्य एकदम ठीक है। उसके सम्बन्धमें में रास्तेमें ही तार भेजनेका इरादा कर रहा था, लेकिन वह विचार छोड़ दिया। कुमारी फैरिंगको यदि तुम सवेरे सैर करनेके लिए ले जाया करो, जैसे कि मैं तुम्हें ले जाता था, तो यह फूल और भी खिलेगा और सुगन्ध देगा।

महादेवकी देखभाल तो करते ही होगे।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५७७८) से।

सौजन्य : राधाबेन चौधरी

१६६. पत्र : एस्थर फैरिंगको

मार्फत सरलादेवी चौधरानी
लाहौर
अक्तूबर २४, १९१९

रानी बिटिया,

पत्र लिखनेका उद्देश्य तुम्हें सिर्फ यह बतलाना है कि मुझे सदा तुम्हारा ध्यान रहता है। मुझे यहाँ एक बड़ा आश्चर्यजनक अनुभव हुआ है।

सस्नेह,

तुम्हारा,

बापू

[अंग्रेजीसे]

माई डियर चाइल्ड

  1. संभवतः यहाँ पिछले शीर्षककी ओर संकेत है।