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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बार मुझे ऐसा लगा कि कोई-न-कोई तो अवश्य ही कुचला जायेगा। लेकिन जहाँ मनुष्य प्रेमके वशीभूत होते हैं वहाँ ऐसी घटनाएँ कम ही होती हैं; यहाँ भी ऐसा ही हुआ। तथापि जहाँ बहुत ज्यादा लोगोंकी भीड़ इकट्ठी हो वहाँ हमें [सुचारु ढंगसे] व्यवस्था करना सीखना ही होगा, इसमें सन्देह नहीं। दिन-प्रतिदिन जैसे-जैसे लोग जाग्रत होते जायेंगे वैसे-वैसे वे राष्ट्रीय कार्यमें अधिक रस लेंगे और अधिकाधिक संख्या में इकट्ठे होने लगेंगे। एक अत्यन्त सरल नियम यदि सब लोग समझ लें तो दुर्घटनाएँ ही न हों। जब हम किसीसे मिलनेके लिए इकट्ठे हों तब पीछे और आसपास खड़े लोगोंको दूर रहना चाहिए और आगेवालोंको आगे बढ़ते जाना चाहिए। आज तो हम इस नियमके विपरीत चलते हैं। पीछेके लोग आगेवालोंको ढकेलते हैं, इससे बीचके लोगोंपर दबाव पड़ता है; धक्का-मुक्की होती है और दुर्घटना होनेका भय बढ़ जाता है। ऐसी अवस्थामें बीचमें फँस जानेवाले व्यक्तिको बाहोंमें समेटकर उसकी रक्षा करना आवश्यक हो जाता है। सब स्वीकार करते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। जरूरत सिर्फ लोगोंको तालीम देनेकी है; लोगोंको यह तालीम स्वयंसेवकोंकी मार्फत जल्दसे-जल्द ही दी जानी चाहिए।

मैं लाहौर में पंडित रामभजदत्तकी धर्मपत्नी सरलादेवी चौधरानीके यहाँ ठहरा हूँ। पाठकोंको याद होगा कि रामभजदत्तजी तो जेल में हैं।

पंजाब समितिको बैठक २९ अक्तूबरसे[१] आरम्भ हो रही है, इस कारण मेरा सूरत आनेका जो विचार था सो मुझे खेदपूर्वक रद करना पड़ा है। सरकारसे तीन माँगें करनेकी बात चल रही है : [१] समितिकी जाँचके दौरान नेताओंको रिहा कर दिया जाना चाहिए, [२] पंजाबके मामलोंकी जाँच करनेके लिए जो न्यायाधीश नियुक्त किये जायें उनमें से एक पंजाबसे बाहरका होना चाहिए और [३] यदि न्यायाधीशोंको नई गवाहियाँ लेनेकी आवश्यकता जान पड़े तो उन्हें इसका अधिकार मिलना चाहिए। यह बातचीत अभी चल रही है और पंडित मालवीयजी इस विषयपर विचार कर रहे हैं। यह भी सुननेमें आता है कि समितिके समक्ष हमारे वकील उपस्थित न हो सकेंगे।[२] अनुमान किया जाता है कि इस विषयपर भी कोई समझौता किया जायेगा। यदि यह न हो सका तो मुझे लगता है कि हम लोग समितिके सम्मुख गवाहियाँ देना स्वीकार नहीं कर सकेंगे।

अगर गवाहियाँ देनेकी बात तय हुई तो बहुत करके श्री चित्तरंजन दास और पंडित मोतीलाल नेहरू हमारे वकीलके रूपमें उपस्थित रहेंगे। इनके अतिरिक्त एक अंग्रेज वकीलको भी आमन्त्रित किया गया है। उनका नाम श्री नेविल है। ऐसा जान पड़ता है कि उक्त महोदयको विलायतसे आते-आते अभी पन्द्रह-बीस दिन लग जायेंगे।

सभी कहते हैं कि पंडित मालवीयजी तथा पंडित मोतीलाल नेहरूने पंजाबकी अनन्य सेवा की है। जिस समय लोग भयभीत थे उस समय इन दो नेताओंने उन्हें

  1. तथापि समितिकी प्रथम बैठक ३१ अक्तूबरको दिल्लीमें हुई थी।
  2. अन्ततः श्री चितरंजन दास तथा मदनमोहन मालवीयको कांग्रेसका प्रतिनिधित्व करनेकी आशा दे दी गई थी।