पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/३११

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१७९. पत्र : सर जार्ज बार्न्सको

दिल्ली
अक्तूबर ३१, १९१९

आपका इसी २१ तारीखका कृपा-पत्र पुनर्निर्देशित होकर मुझे दिल्लीमें मिला।

आप बदली हुई स्थितिके बारेमें जैसा सोचते हैं, वैसा तो मैं नहीं सोच सकता, फिर भी मैं इसे दूसरे सर्वोत्तम उपायके रूपमें स्वीकार करता हूँ और श्री मॉण्टेग्युकी मूल घोषणाको कार्यान्वित करानेके आन्दोलनको रोकनेके लिए मुझसे जो कुछ बन पड़ेगा, करूँगा। क्या आप भारतीय सदस्यका नाम घोषित कर सकते हैं? मैंने तो श्री शास्त्रियरका नाम सुना है। इस सम्बन्धमें मैं तो कहूँगा कि उनसे अच्छा आदमी चुना ही नहीं जा सकता था। क्या आप यह भी बता सकेंगे कि सर बेंजामिन रॉबर्ट्सन किस दिन जहाजसे दक्षिण आफ्रिका प्रस्थान करनेवाले हैं?

[अंग्रेजीसे]
इंडिया ऑफिस: ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स : ६१४०–१९
 

१८०. पत्र : एस्थर फैरिंगको

दिल्ली
शुक्रवार [अक्तूबर ३१] १९१९

रानी बिटिया,

तुम्हारा काम बच्चोंको[१] पढ़ना-लिखना सिखानेसे अधिक यह सिखाना होगा कि उत्तम चरित्र क्या है और उसका अर्थ क्या है। इसलिए यह जानकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि तुम्हें शीघ्र ही बच्चोंके निकट सम्पर्क में आनेका अवसर मिलेगा।

सुन्दरम्से पत्र लिखनेको कहना और कृष्ण तथा मणिदत्तसे भी।

अभी पखवारे भर और मेरे लौटनेकी सम्भावना नहीं है।

श्री एन्ड्रयूज मेरे साथ हैं और हम दोनों शान्ति स्थापित करनेकी कोशिश कर रहे हैं।

बच्चोंके आने से कुछ भीड़-भाड़ और असुविधा तो नहीं होती?

तुम्हारा,
बापू

[अंग्रेजीसे]
माई डियर चाइल्ड
  1. आश्रम में।