पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/३१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१८१. पत्र : एक मित्रको

दिल्ली]
कात्तिक सुदी ७ [अक्तूबर ३१, १९१९]

भाईश्री,

चि॰ छगनलालने मुझे लिखा है कि आप मेरी ओरसे ५० चरखे [भेजे जानेकी] बाट जोह रहे हैं। मुझे ऐसा कुछ भी याद नहीं पड़ रहा है; लेकिन मैंने जो दस चरखे भेजे हैं उनके अलावा यदि आपको और चरखोंकी आवश्यकता हो तो मैं भेज सकता हूँ। परन्तु फिर भी आपको चरखे तो वहीं बनवाने चाहिए। मैं फिलहाल पंजाबमें हूँ।

मोहनदास गांधी वन्देमातरम्

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ५७१४) की फोटो-नकलसे।

 

१८२. पत्र : हर्स्टको

अक्तूबर, १९१९[१]

प्रिय श्री हर्स्ट,

पत्रके लिए धन्यवाद! मैं आपकी इस बातसे पूरी तरह सहमत हूँ कि आजकी सभाओं में किसी भी किस्मकी असंयमित या कटुतापूर्ण भाषाका प्रयोग नहीं होना चाहिए। आप इस बातका पूरा भरोसा रखें कि में ऐसी भाषाका प्रयोग न होने देनेके लिए अपनी शक्ति-भर प्रयास करूँगा।

हृदयसे आपका

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ १९८२८) की फोटो-नकलसे।

  1. यह स्पष्ट नहीं है कि यहाँ किन सभाओंका जिक्र किया गया है। इसलिए इसकी निश्चित तिथि बतलाना सम्भव नहीं है।