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टिप्पणियाँ

मच्छर नहीं होते वहाँ मलेरिया कम होता है। दिल्लीके आसपास जिन गड्ढों में पानी भरा रहता था उनके भर दिये जानेके बाद मच्छरोंकी संख्या पहलेसे कम हो गई और मलेरिया भी कम हो गया।

मैं आशा करता हूँ कि कोई मुझसे यह न पूछेगा कि स्वच्छताके उपर्युक्त नियमोंका चित्रण मैंने इस लेखमें क्यों किया? इन नियमोंके पालनपर इक्कीस करोड़ किसानोंका स्वास्थ्य निर्भर करता है।

जो स्वयंसेवक अपने गाँवके किसानोंको इन नियमोंकी शिक्षा देगा वह अपने ग्रामवासियोंकी जिन्दगीमें वृद्धि करेगा; रोगोंको फैलने से रोकने के महा उपायमें योग देगा। यह काम सबसे मुश्किल है, क्योंकि इसमें दिलचस्पी रखनेवाले बहुत ही कम लोग हैं। फिर भी किसी-न-किसी दिन इस कार्यको हाथमें लेना ही पड़ेगा। इस धर्मके पालन में, भूलके लिए गुंजाइश नहीं। इसका जितना पालन किया जायेगा उतना ही फल प्राप्त होगा। जिसे प्रारम्भ करना हो, वह इस कामको हाथमें लेकर देखेगा कि उसने एक वर्षके भीतर ही अपने गाँवके स्वास्थ्य में परिवर्तन ला दिया है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २-११-१९१९
 

१८७. टिप्पणियाँ
रौलट आवेदनपत्र

रौलट आवेदनपत्र[१] इस अंकके परिशिष्टके रूपमें प्रकाशित किया जा रहा है। इसे जल्दी से जल्दी भेज देना आवश्यक है। इसपर अधिक से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षर किये जाने चाहिए। ब्रिटिश हिन्दुस्तान में रहनेवाला हर व्यक्ति,—सभी स्त्री-पुरुष—इसपर हस्ताक्षर कर सकते हैं। हस्ताक्षर कराने के काममें 'नवजीवन' का पाठक वर्ग मदद कर सकता है। हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्तिका नाम, व्यवसाय और पूरा पता दिया जाना चाहिए। उसमें यदि स्वयंसेवकका नाम हो तो और भी अच्छी बात है। लेकिन स्वयंसेवककी मदद के बिना भी हस्ताक्षर किये जा सकते हैं। आवेदनपत्रपर हस्ताक्षर करनेके बाद, हस्ताक्षरकर्ता उसे 'नवजीवन' कार्यालय पहुँचा दें। यहाँसे उसे उचित स्थानपर पहुँचा दिया जायेगा। हमें उम्मीद है कि इस कार्य में 'नवजीवन' के पाठक एकदम लग जायेंगे और पूरी सहायता देंगे।

यह सोचना कि आवेदनपत्र से कुछ लाभ नहीं होनेवाला है—ठीक नहीं है। आवेदनपत्र एक प्रकारकी शिक्षा है। उसके द्वारा उल्लिखित विषयपर जनताका ध्यान केन्द्रित किया जा सकता है। जिस आवेदनपत्र के पीछे बल नहीं है, कार्य नहीं है; और जब आवेदनपत्र देनेको ही हम अपने बल अथवा कार्यका परिचायक समझते हैं उस समय वह व्यर्थ होता है। लेकिन जिस आवेदनपत्रके पीछे बल और कार्य रहता है वह बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। रौलट आवेदनपत्र ऐसा ही है। इसके पीछे सत्याग्रह-

  1. देखिए परिशिष्ट ६।