१८८. सन्देश : ईसाइयोंको[१]
दिल्ली
[नवम्बर ३, १९१९ के पूर्व]
टाइप किये हुए अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ६९७४) की फोटो-नकलसे।
१८९. दक्षिण आफ्रिकाके विषयमें भेंटपर टिप्पणी[२]
नवम्बर ३, १९१९
उन्होंने कहा कि मुझे बहुत दुःख है कि संघ सरकार भारतके प्रतिनिधियोंको आयोगमें बैठने नहीं देना चाहती है। उन्होंने कहा कि वे वही करने जा रहे हैं जो मैंने अपने पत्र में उनसे करनेको कहा था, यानी कि वे खुद इस विषयपर एक आन्दोलन न खड़ा करें, और अन्य लोग यदि आन्दोलन उठाएँ तो उन्हें दबानेके लिए यथासम्भव प्रयत्न करें। उन्होंने मुझे बताया कि पिछले एक-दो दिनोंमें उन्होंने संवाददाताओंको भेंट दी है और इन भेंटोंमें कहा कि वे वर्तमान स्थितिमें इसे सर्वोत्तम प्रबंध मानते हैं।
मैंने उनसे पूछा, क्या उनकी इस विषय में कुछ निश्चित राय है कि आयोगके सामने जो बातें विचारार्थ रखी जायें उनमें व्यापारके अधिकार के अलावा अन्य अधिकारोंका भी विचार किया जाये। मैंने उनका ध्यान इस ओर भी दिलाया कि हाल ही में भारतीयों द्वारा जाँच करवाने की कोशिशोंका ऐसा परिणाम हुआ था जिसे
- ↑ लगता है नवम्बर ३ से पूर्वं ईसाई मिशनरी रेवरेंड ई॰ स्टैनली जोन्सने दिल्लीमें गांधीजीसे मुलाकात की। उसी तारीखको उन्होंने गांधीजीको कॉरिन्थियन्स १ के अध्याय १३ के कुछ अनुच्छेदों का मफेट द्वारा किया गया अनुवाद भी भेजा। गांधीजीके सन्देशका यह पाठ रेवरेंड जोन्स द्वारा ७ नवम्बरको उनके नाम लिखे एक पत्रसे लिया गया है।
- ↑ अवश्य ही यह जॉर्ज बार्ज्ड द्वारा लिखित उस भेंटकी रिपोर्ट है जब गांधीजी दक्षिण आफ्रिकी आयोगके सिलसिले में उनसे मिले थे। देखिए "पत्र : सर जॉर्जे बाजेको", ७-११-१९१९।