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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मौजूदा अधिकारोंमें कटौती माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे आग्रहपूर्वक यह महसूस करते हैं कि जाँचके दायरे में १८८५ का कानून भी होना चाहिए। उनके विचारमें इसकी सम्भावना नहीं थी कि आयोग द्वारा उक्त कानूनपर विचार करनेके परिणामस्वरूप मौजूदा अधिकारोंमें कटौती हो जायेगी।

मैंने अंतर्प्रान्तीय प्रवासके विषयपर उनके विचार पूछे। उन्होंने कहा :

मैं इसकी माँग नहीं करूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि हमें यह हासिल नहीं होगा। प्रान्तों में परस्पर प्रवासकी स्वतन्त्रताका अर्थ होगा कि ट्रान्सवालसे ऑरेंज फ्री स्टेटमें जाकर वहाँ प्रवास करनेकी स्वतन्त्रता। ऑरेंज फ्री स्टेटने हमेशा भारतीयों के प्रवेशका निषेध किया है और उस पूरे प्रान्तमें एक भी भारतीय नहीं है।

इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि वापस आनेके इरादेसे एक प्रान्तसे दूसरे प्रान्त में जाने-आनेके बारेमें उनका क्या खयाल है। उदाहरणार्थ कोई व्यक्ति प्रान्तको सीमाके बाहर रहनेवाले किसी रिश्तेदारको अन्त्येष्टिमें शरीक होना चाहे । उन्होंने कहा :

यह बहुत ही छोटा मामला है, और मैं समझता हूँ कि हम जनरल स्मट्सपर भरोसा कर सकते हैं कि प्रशासकीय आज्ञा द्वारा वे इसे निबटा देंगे।

उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई कानून बनानेकी जरूरत नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि वे (३ नवम्बरको) अमृतसर के लिए रवाना हो रहे हैं परन्तु आयोगके विचारार्थ विषय-सूचीका दायरा बढ़ानेके प्रश्नपर सावधानीसे विचार करेंगे और मुझे अपने विचारोंसे अवगत करा देंगे। उन्होंने कहा :

मैं दक्षिण आफ्रिकी लोगोंको जानता हूँ, और वहाँकी मौजूदा कठिनाइयोंको पूरी तरह समझता हूँ। मैं ऐसी मांगें रखनेकी गलती नहीं करता चाहता जो अबुद्धिमत्तापूर्ण हों और जो कि हम जानते हैं कि पूरी नहीं होंगी।

उन्होंने मुझसे पूछा कि आयोगके सामने भारतीय प्रतिनिधि कौन होगा। मैंने उन्हें बताया कि संघ सरकारने अभीतक किसी भारतीय के प्रतिनिधि नियुक्त किये जानेपर सहमति नहीं दी है, परन्तु वाइसराय तथा उपनिवेश मंत्री दोनों ही पूरी तरह एकमत से चाहते हैं कि एक भारतीय प्रतिनिधि भी हो, और उन्होंने आग्रह किया है कि एक प्रतिनिधि लिया जाये। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या यह सही है कि श्री शास्त्रीका नाम वाइसराय तथा उपनिवेश मंत्रीने सुझाया है। मैंने बताया कि यह सही है। उन्होंने कहा :

मैं नहीं समझता कि इससे बेहतर व्यक्ति सम्भवतः चुना जा सकता था।

श्री गांधीने आशा प्रकट की कि में जब भी उनकी आवश्यकता समझू, उन्हें बुलवाऊँगा, और यह भी कहा कि जब भी दक्षिण आफ्रिकाके प्रश्नपर उनकी मददकी जरूरत होगी वे लाहौर या अमृतसर से आनेके लिए तैयार हैं।

[अंग्रेजीसे]
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