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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अकुलाहट होती है और यदि मैं लोगोंकी भावनाओं को ठेस पहुँचाये बिना 'दर्शन' देना बन्द कर सकूँ तो अवश्य ही बन्द कर दूँ। किन्तु वह मुझसे हो नहीं पाता। इसका कारण या तो यह है कि मुझमें हिम्मतकी कमी है अथवा मेरी विवेक दृष्टि अभी मलिन है या फिर अहिंसा धर्म मुझे लोगोंका जी दुखानेसे रोकता है। मैं समझता हूँ कि मुझमें उक्त दोनों दोष भी हैं और अहिंसावृत्तिका प्राबल्य भी। इस दशासे छुटकारा पानेका में निरन्तर प्रयत्न तो कर ही रहा हूँ। आजकल जब लोग 'दर्शन' करने आते हैं, तब भी में अपना लेखनादि कार्य करता रहता हूँ। अभी जब यह लिख रहा हूँ, इस समय भी लोग आ-जा रहे हैं। लेकिन मैं अपना काम बन्द नहीं करता; उन्हें नमस्कार करके अपना लिखना जारी रखता हूँ।

यह सत्य और सेवाधर्मके सहज पालनका ही परिणाम है; इस बातकी मुझे स्पष्ट प्रतीति होती रहती है। सत्यके जिस रूपसे में परिचित हूँ उसका मन, कर्म और वचनसे आचरण करनेका मैं दावा नहीं कर सकता। मेरा दावा इतना ही है कि मैं सत्य और सेवाधर्मका पूरा-पूरा पालन करनेका अधिक से अधिक प्रयत्न कर रहा हूँ और जिस अनन्य प्रेमका अनुभव कर रहा हूँ वह मुझे स्पष्टतः यह बतलाता है कि जिनमें सत्य और सेवाधर्म पूर्ण रूपसे प्रकट होता है वे लोग अवश्य ही संसारके लोगों के हृदयोंपर शासन करते हैं और अपने मनमें निश्चित किये गये कार्योंको पूरा करते हैं। मैं यह भी देख रहा हूँ, इस विषम कालमें भी सत्य, सेवा और दयाधर्मका सहज पालन करनेसे मनुष्यको परम शान्ति मिलती है।

समितिके लिए तैयारी

लाहौर में माननीय लेफ्टिनेन्ट गवर्नर महोदय तथा डिप्टी कमिश्नरसे मिलनेके बाद मैं श्री एन्ड्रयूज के साथ दिल्ली गया क्योंकि वहाँ २९ तारीखको समितिकी बैठक होनेवाली थी। दिल्ली में श्री एन्ड्रयूज और मैं लॉर्ड इंटरसे मिले और स्थानीय अधिकारियोंसे मुलाकात की। सबकी यही इच्छा दिखी कि जो सत्य हो वह प्रकाशित किया जाये। समितिकी ओरसे जो प्रश्न-पत्रक प्रकाशित किया गया है उसमें भी ऐसी व्यवस्था की गई है जिससे सभी पक्षोंके लोग उसके सम्मुख तथ्य रख सकें। अभी दो चीजें बाकी हैं : नेताओंका रिहा किया जाना तथा पंजाब से बाहरके एक न्यायाधीशकी नियुक्त। इसकी व्यवस्था हो रही है।

पंडित मालवीयजी

पंडित मालवीयजी रविवारको काशीसे यहाँ आ गये। वे उपर्युक्त बातोंके सम्बन्धमें माननीय लेफ्टिनेन्ट गवर्नर महोदयको पहले ही तार दे चुके हैं। श्री सी॰ आर॰ दास सोमवारको आ गये। वे भी पंडितजी के साथ रहेंगे। इस बार दुःख सिर्फ इस बातका है। कि पंडित मोतीलाल नेहरू बीमार पड़ गये हैं। उन्होंने पंजाबके मामलेमें भारी परिश्रम किया है। इस सम्बन्धमें उन्होंने जितनी जानकारी प्राप्त कर ली है उतनी शायद बहुत थोड़े लोगोंने की होगी। इस समय वे रोगग्रस्त हैं, तथापि आशा है कि वे एक सप्ताह के भीतर स्वस्थ हो जायेंगे। वे दमेसे पीड़ित हैं।