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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इससे बहनोंने सूत लाना आरम्भ कर दिया है और अनेक बहनोंने सूत कातना शुरू करनेका भी वचन दिया है। पंजाबके चरखे तथा गुजरातके पुराने चरखेमें अधिक भेद दिखाई नहीं देता। में जैसे-जैसे चारों ओर एक ही प्रकारका चरखा और इससे सम्बन्धित एक ही तरह की क्रियाएँ आदि देखता हूँ वैसे-वैसे मुझे विश्वास होता जाता है कि सारा हिन्दुस्तान पहले एक ही राष्ट्र था और हिन्दुस्तानियोंको अपने एक ही राष्ट्र होनेका भान था। अभीतक ऐसी बहनें अथवा भाई तो थोड़े ही मिले हैं जो हाथसे सूत कातनेमें हानि देखते हैं।

पूर्वी बंगालमें तूफान

श्री सी॰ आर॰ दासने बताया है कि पूर्वी बंगालमें जो तूफान आया था वह इतना भयंकर था कि प्रान्तके लगभग तीन-चौथाई भागको उससे नुकसान पहुँचा है। सैकड़ों व्यक्ति बाढ़में बह गये; हजारों बेघर हो गये और बहुतोंको रोगोंने आ घेरा। उनको मदद देनेके लिए अनेक समितियाँ काम कर रही हैं। श्री दासने दो लाख रुपये एकत्रित किये हैं; तीन लाख रुपयोंकी और जरूरत है। उन्होंने तथा सर रवीन्द्रनाथ ठाकुरने एक अपील भी जारी की है। मुझे उम्मीद है कि बम्बईके धनाढ्य व्यक्ति इसमें मदद करेंगे। मेरी सलाह तो यह है कि हमें बम्बई प्रदेशकी ओरसे कोई विश्वास-पात्र व्यक्ति भेजकर उसकी मार्फत मददकी व्यवस्था करनी चाहिए। असंख्य धनवानोंमें से यदि कोई एक व्यक्ति इस कार्यको हाथमें ले ले तो वह स्थानीय समितिकी मदद कर सकता है और पूरी जानकारी भी हासिल कर सकता है। संवत् १९५६ के[१] अकालके समय अमरीकाकी जनताने जहाजोंमें अनाज भर-भरकर हिन्दुस्तान भेजा था। इतना ही नहीं उन्होंने यह मदद एक एलची भेजकर उसके मार्फत पहुँचाई थी।

मुस्लिम लीगके अध्यक्ष

हमें आशंका थी कि शायद इस बार मुस्लिम लीगकी बैठक अमृतसरमें न हो सके। अब यह आशंका दूर हो गई है, इतना ही नहीं उसके अध्यक्षका चुनाव भी हो चुका है। दिल्लीके प्रसिद्ध हकीम श्री अजमल खाँको लखनऊकी समितिने सर्वसम्मतिसे अध्यक्ष चुना है। हकीमजीका परिवार तीन पुश्तोंसे दिल्लीमें रहता आया है। उनका परिवार पुराना और खानदानी है। हकीमजी गरीबोंको मुफ्त दवा बाँटते हैं। वे अपने व्यवसाय में इतने कुशल माने जाते हैं कि उन्हें राजे-महाराजे दवा-दारूके लिए बुलाते हैं। उन्हें यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियोंमें बहुत दिलचस्पी है। लॉर्ड हार्डिंग के शासनकालमें उन्होंने लॉर्ड हार्डिंगसे इन दोनों पद्धतियोंके अनुसार शिक्षा देनेके लिए एक महाविद्यालयकी[२] नींव भी रखवाई थी। यह महाविद्यालय साढ़े सात एकड़ भूमिपर बनाया गया है। दिल्ली शहरसे दो मील दूर स्थित है; इमारत लगभग पूरी हो गई है। उसमें १२० रोगियोंके रहने योग्य जगह है। अंग्रेजी पद्धतिको भी इसमें स्थान दिया गया है। विद्यार्थियोंको अंग्रेजी शल्य-चिकित्साका कुछ ज्ञान देनेका

  1. ईसवी सन्के अनुसार १९००।
  2. तिब्बिया कॉलेज।