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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन्हें भी पाँच वर्ष पूरे होनेसे पहले मुक्त कर दिया जाना चाहिए। जो करार अनीतिमूलक हो अथवा जिसमें अनीतिकी गुंजाइश हो सके, वह करार समाप्त किया ही जाना चाहिए और उसके तोड़ने में हरजाना देनेकी कोई बात नहीं हो सकती। लेकिन फीजीके बागान-मालिक अपने कानूनी अधिकारोंको छोड़नेके लिये तैयार नहीं हैं। इसी कारण उक्त हरजाना देनेकी बात उठ खड़ी होती है। फीजीमें रहनेवाले भारतीय मजदूरोंको यह हरजाना देकर भी बन्धन मुक्त करवाना हमारा स्पष्ट कर्त्तव्य है। सवाल सिर्फ अधिकसे-अधिक २०,००० पौंड भरनेका है और मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार उतना पैसा देकर तुरन्त उन्हें शर्तसे मुक्त करवायेगी। इस सम्बन्धमें, इस विभागके सचिव सर जॉर्ज बाज़ हमारी बधाईके पात्र हैं। उन्होंने यदि दृढ़तापूर्वक यह माँग न की होती तो हम इस समय जिस शुभ परिणामकी उम्मीद कर पा रहे हैं वह सम्भव न होता। श्री एन्ड्रयूजका तो कहना ही क्या? हम उन्हें किस तरहसे बधाई दें? उन्होंने अपना जीवन हमें अर्पित कर दिया है। हिन्दुस्तानकी सेवा करने में वे सुख मानते हैं। फीजीके मजदूरोंकी अन्तरात्मा उन्हें दुआ देगी।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ९-११-१९१९
 

१९८. टिप्पणियाँ
खिलाफत और शान्ति-समारोह

आगामी शान्ति समारोहोंके सम्बन्धमें हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए, इस सम्बन्ध में कुछ मित्रोंने पूछताछ की है। मुझे खबर है कि खिलाफत दिवसकी कुछ एक सभाओं में इस आशयका प्रस्ताव पास किया गया था कि यदि खिलाफतके प्रश्नका सन्तोषजनक हल न निकाला गया तो मुसलमान भाई शान्ति समारोहोंमें भाग नहीं ले सकेंगे; क्योंकि भारतीयोंका मन उस स्थितिमें शान्त नहीं रह सकता। जबतक इस महत्त्वपूर्ण प्रश्नका समाधान नहीं हो जाता, जबतक मुसलमान भाइयोंकी भावनाओंको ठेस पहुँचनेका भय बना हुआ है, लाखों मुसलमान भाई दुविधाको स्थितिमें पड़े हुए हैं तबतक हिन्दू, पारसी, ईसाई, यहूदी आदि वे भाई जिन्होंने हिन्दुस्तानको स्वेच्छासे अपनी भूमि स्वीकार किया है अथवा जिनकी वह जन्मभूमि ही है, वे सभी लोग शान्ति-समारोहों में भाग कैसे ले सकते हैं। मैं तो यहाँतक सोचनेका दुस्साहस करता हूँ कि यदि माननीय वाइसराय महोदय चाहें तो महामहिम सम्राट्के मन्त्रियोंसे कह सकते हैं। कि जबतक खिलाफतके प्रश्नका कोई निष्कर्ष नहीं निकल आता तबतक शान्ति-समारोहोंमें भारतीय भाग नहीं ले सकते; और मुझे उम्मीद है कि हमें इन समारोहोंमें भाग लेनेके लिए कहने से पूर्व महामहिम सम्राट्के मन्त्री इस प्रश्नका सम्मानपूर्ण हल निकालने और उसे प्रकाशित करनेके हमारे अनुरोधको स्वीकार करेंगे।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ९-११-१९१९