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२००. तार : रावजीभाई मेहताको

राधनपुर
नवम्बर १३, १९१९

रावजीभाई जगजीवनदास

२४, ओल्ड मोदीखाना

बम्बई

शर्तें तय हो गईं। राजासाहब १३ और १५ दिसम्बर को आपसे मिलना चाहते हैं। क्या आप फौरन आ सकते हैं?

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्ट्स
 

२०१. पत्र : लेफ्टिनेंट गवर्नरके निजी सचिवको

लाहौर
नवम्बर १५, १९१९

आप कृपया लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदयको बता दें कि कल मैंने कांग्रेस उप-समितिके सदस्योंको सूचित कर दिया है कि उन्होंने [ले०॰ गवर्नर महोदयने] उप-समिति द्वारा प्रस्तुत सिद्धान्तपर इस हदतक विचार करनेकी कृपापूर्वक स्वीकृति दे दी है, कि ६ नेता पैरोलपर उस दिन या उतने दिनोंके लिए छोड़े जा सकते हैं जिन दिनों उन्हें स्वयं दंगोंकी जाँच समिति के सामने सबूत देने हैं। सदस्योंने माना कि इस राहतसे नाममात्रको सिद्धान्तकी रक्षा तो हो जाती है किन्तु अन्य दिनोंमें यदि उन्हें हिरासती कैदियोंकी हैसियतसे कमेटीकी बैठकोंमें भाग लेनेकी इजाजत नहीं मिलती जिससे वे अपने वकीलको ऐसी हिदायतें दे सकें जिनकी विशेष जानकारी सिर्फ उन्हीं को है तो व्यावहारिक दृष्टिसे उस राहतका कोई उपयोग नहीं है। मिसाल के तौरपर कहें तो इसका अर्थ होगा कि डॉक्टर किचलू व सत्यपाल लगभग पूरे अमृतसर-कांडकी सुनवाईके समय हिरासत में रहेंगे और केवल जिस दिन या जिन दिनों उनसे जिरह की जायेगी उस दिन वे पैरोलपर छोड़े जायेंगे। मैंने महसूस किया कि जो मुद्दा उन्होंने उठाया वह काफी स्पष्ट था और पंडित मदनमोहन मालवीयको लिखे लॉर्ड हंटरके पत्रमें[१] उसका उल्लेख था, परन्तु श्री एन्ड्रयूजने उसे पूरी तरह स्पष्ट करवानेका जिम्मा लिया। किन्तु तब और भी गहरी निराशा हुई जब उन्होंने लौटकर यह कहा

  1. इस पत्र-व्यवहारके लिए देखिए परिशिष्ट ७।