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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हमें जहाँ कहीं भी अन्याय और उत्पीड़न दिखे उसका विरोध और मुकाबला अवश्य करना चाहिए तथापि बुरा करनेवालेके प्रति हमें कोई दुर्भावना लेकर नहीं चलना चाहिए। सरकार ने हम सभी को बड़ी ही कठिन स्थितिमें डाल दिया है। नेताओंको रिहा करनेसे मना करके सरकारने हमारे लिए लॉर्ड हण्टरकी समितिसे सहयोग करना असम्भव बना दिया है। तथापि सरकारके इस उद्दंड कार्यके बावजूद हम सरकार के सामने झुकेंगे नहीं, लेकिन साथ ही हम क्रोध भी नहीं करेंगे। श्री एन्ड्रयूजने भारत के लिए अनेक भारतीयोंसे भी अधिक काम किया है। उन्होंने [अपनी आलोचनामें] अपने देशवासियों को बख्शा नहीं, परन्तु ऐसा नहीं है कि उनके प्रति प्रेममें कोई कमी हुई हो। और इसी प्रकार आप भी अंग्रेजोंके या सरकारके प्रति दुर्भावना रखे बिना न्यायके लिए और अपने सम्मानके लिए संघर्ष करते रह सकते हैं।[१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६-११-१९१९
 

२०३. पंजाबकी चिट्ठी—३

लाहौर
सोमवार, कात्तिक बदी ११[२] [नवम्बर १७, १९१९]

अमृतसरका प्रेम

दिल्ली से श्री एन्ड्रयूज के साथ में अमृतसर गया। वहाँ मुझे जो अनुभव हुआ वह अलौकिक था। लोगोंकी भीड़में से निकलना मुश्किल था। स्टेशनके बाहर सारा रास्ता अमृतसरवासियोंसे भरा हुआ था। जयघोषकी पुकारोंसे तो मैं एकदम घबरा गया। यह भारी जलूस शहरकी ओर चला। लोग फूलोंसे भरी गाड़ीमें मुझे बिठाकर एक मस्जिद में ले गये। मस्जिद हिन्दू-मुसलमानोंसे भरी हुई थी। मस्जिदसे वापस गाड़ीतक में बहुत मुश्किल से आया और फिर सिखोंके स्वर्णमन्दिरतक पहुँचने में भी बहुत समय लगा। इस मन्दिरको वे लोग दरबार साहब कहते हैं। मन्दिरके बुर्ज आदि स्वर्णपत्रसे मंडित हैं। निकट ही एक बड़ा तालाब है। आसपासकी जगह भी प्रमाणमें विशाल कही जा सकती है। इतने लम्बे-चौड़े मैदानसे होकर मन्दिरके मुख्य भागतक पहुँचना मुझे तो असम्भव दीख पड़ा। चारों ओर सहस्रों व्यक्ति इकट्ठे थे। स्त्रियोंकी [भी] कोई कमी न थी। ऐसी खचाखच भीड़ में मैंने स्त्रियोंको निर्भयतासे प्रवेश करते हुए देखा, पुरुष भी पूर्णतः मर्यादाका पालन कर रहे थे, यह देखकर मुझे हर्ष

  1. इसके बाद गांधीजीने निम्न प्रस्ताव प्रस्तुत किया : "लाहौरके नागरिकोंकी यह सभा उस प्रस्ताव द्वारा आभारपूर्वक श्री सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूज द्वारा पंजाबके संकटके समय की गई बहुमूल्य सेवाओंकी लिखित रूपमें सराहना करतो है और दक्षिण आफ्रिकामें उनके मानवतावादी मिशनकी सफलताको कामना करती है।" सी॰ आर॰ दासने प्रस्तावका अनुमोदन किया।
  2. यहाँ १० होना चाहिए।