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पंजाबकी चिट्ठी—३

जाना चाहिए। इसमें बड़े-बड़े मकानों अथवा बहुत ज्यादा पैसोंकी जरूरत नहीं है। मात्र तीव्र और शुद्ध इच्छाकी जरूरत है।

लाहौर के अनुभवसे मेरे मनमें समय-समयपर ऐसे विचार आते रहते हैं। मैंने उन्हें यहाँ पाठकोंके सम्मुख प्रस्तुत कर दिया है।

लाहौर में

अमृतसर में एक दिन रहनेके बाद हम लाहौर आये। यहाँ काम तो पड़ा ही हुआ था। पंडित द्वय अभी बाहर थे। मोतीलालजी प्रयागमें और मालवीयजी दिल्लीमें थे। इस कारण पेश की जानेवाली गवाहियोंके सम्बन्ध में मुझसे जो बन सकता था मैं उसमें लग गया। इसके साथ-साथ माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदयको भी पत्र लिखा कि तीन शर्तों में अभी दो शर्तें बाकी हैं।

दो शत

एक शर्त यह है कि तुरन्त निर्णय देनेवाली अदालतों (समरी कोर्ट) के निर्णयोंकी जाँच करनेके लिए पंजाब से बाहर के एक न्यायाधीशको नियुक्ति की जानी चाहिए। दूसरी शर्त यह कि समितिका काम जारी रहनेतक प्रमुख कैदियोंको रिहा रखा जाये। स्पष्टीकरण करते हुए मैंने बताया कि इसके बिना ठीक-ठीक गवाहियाँ नहीं दी जा सकतीं। उनके अस्थायी रूपसे रिहा कर दिये जानेपर ही लोगोंमें गवाहियाँ पेश करनेकी हिम्मत आयेगी और सरकारकी सदाशयताके सम्बन्ध में लोगोंको विश्वास होगा।

इस बीच आदरणीय मालवीयजी तथा श्री दास दिल्लीसे तथा मोतीलालजी प्रयागसे आ पहुँचे। समितिके सदस्य भी आ पहुँचे। वे लोग अमृतसर में जलियाँवाला बाग आदि स्थानोंको—जहाँ लोगोंको अधिक से अधिक कष्ट झेलने पड़े थे—देखने गये। बृहस्पतिवार १३ तारीखको समितिकी बैठक शुरू हुई और अमृतसर-काण्डके सम्बन्ध में कार्रवाई आरम्भ हो गई।

समितिका बहिष्कार

लेकिन हमारी ओरसे समितिका बहिष्कार किया गया है। सोमवार अर्थात् १० तारीखको लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदयका उत्तर आया कि [दूसरी शर्तके अनुसार] पंजाब क्षेत्र से बाहरके न्यायाधीश बिहार उच्च न्यायालयके न्यायमूर्ति मलिककी नियुक्ति हो गई है। लेकिन सरकारने तीसरी शर्तको मंजूर नहीं किया। गवर्नर महोदयने लिखा कि जिन्हें समिति बुलायेगी सिर्फ उन्हीं कैदियोंको गवाही देनेके लिए लाया जायेगा। इस आशयका एक पत्र मालवीयजीको मिला है और मुझे भी यही उत्तर मिला है। कांग्रेस उप-समितिकी बैठक हुई तथा पंडितजीने सबको स्थितिसे अवगत कराया। मुझे जो कहना था, सो मैंने कहा और खूब चर्चा हुई। अन्ततः मालवीयजीने अध्यक्ष के रूपमें माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदय तथा लॉर्ड इंटरको पत्र लिखे। ये प्रकाशित हो चुके हैं। दोनों पत्रोंमें पंडितजीने स्पष्ट रूपसे कहा है कि जबतक प्रमुख नेताओंको रिहा नहीं किया जायेगा तबतक लोगोंकी ओरसे समितिका बहिष्कार जारी रहेगा। उन्होंने लॉर्ड इंटरके पत्र में बहिष्कार करनेके कारण बताये और उनसे माँग की कि जैसे दक्षिण