आफ्रिकामें मुझे और दूसरे लोगोंको छोड़ दिया गया था वैसे ही यहाँके प्रमुख नेताओंको रिहा कर दिया जाना चाहिए। लॉर्ड इंटरकी ओरसे भी नकारात्मक उत्तर मिला है। इस बीच श्री एन्ड्रयूज माननीय गवर्नरसे मिल आये। उन्होंने भी उनसे विनती की। बादमें में मिला। परिणामस्वरूप वे कुछ आगे बढ़े और उन्होंने यह स्वीकार किया कि जब नेताओंको गवाही देनेके लिए लाया जायेगा तब उन्हें मुक्त रखा जायेगा। वह भी इस शर्तपर कि सोनेके लिए वे वापस जेलमें जायेंगे। इसमें हमारी माँगको कुछ हद-तक स्वीकार कर लिया गया था, सो फिरसे कांग्रेसकी बैठक हुई और उसमें विचार-विमर्श किया गया। इसमें यह निश्चय हुआ कि यदि बाकीके दिनोंके लिए कैदियोंको पैरोलपर छोड़ दिया जायेगा और वकीलकी सहायतार्थं अदालत में आने दिया जायेगा तो हम माननीय लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदय की बातको स्वीकार कर लेंगे। भाई एन्ड्रयूज इस बातका निबटारा करवानेके लिए गये। लेकिन गवर्नर महोदयने स्पष्ट शब्दोंमें इन्कार कर दिया। इसपर पंडितजीने लॉर्ड इंटरको फिरसे पत्र लिखा है। इंटर समितिमें सरकारी वकील भी हैं। उन अधिकारियोंको, जिनके कामके बारेमें छानबीन की जा रही है, [अदालतमें] बैठनेकी अनुमति है, इनमें वकील लोग भी शामिल हैं। माल- वीयजीने कहा है कि एक ओर तो वे सरकारी अधिकारी, जो अपराधीको स्थितिमें हैं, उपस्थित हो सकते हैं और दूसरी ओर कैदमें पड़े हुए हमारे नेतागण उपस्थित होकर वकीलकी मदद भी न कर सकें—ऐसी एक पक्षीय स्थितिको कांग्रेस समिति कदापि स्वीकार नहीं कर सकती। परिणामतः हमारा बहिष्कार जारी है।
हंटर समितिके सम्मुख गवाही
अभी अमृतसरके अधिकारियोंकी गवाहियाँ ली जा रही हैं। अधिकारी लोग मुख्य आरोपोंको स्वीकार करते जान पड़ते हैं। तीनों भारतीय सदस्य ठीक काम कर रहे हैं, पंडित जगतनारायण बहुत कड़ी जिरह कर रहे हैं। मुझे लगता है कि अनेक बार उनकी जिरह जितनी कड़ी होनी चाहिए उससे कहीं अधिक कड़ी होती है। जो जानते हैं वे कहते हैं, उनका तरीका ही ऐसा है। बहुत समयतक फौजदारी मामलोंको हाथ में लेनेके कारण उनकी आदत ही तीखी जिरह करनेकी पड़ गई है। सर चिमनलाल सीतलवाड भी बहुत बारीकीसे सवाल पूछते हैं, और साहबजादा सुलतान अहमद थोड़े सवाल पूछते हैं लेकिन वे मुद्देसे ही सम्बन्धित होते हैं। ऐसी कोई बात दिखाई नहीं देती जिससे यह लगे कि अंग्रेजी सदस्य पक्षपातपूर्ण सवाल पूछते हैं। लोगोंका यह कहना है कि समितिके सदस्य गण भी जान-बूझकर अन्याय करें, सो बात नहीं। चाहे जो हो सब लोगोंकी यह राय है कि भारतीय सदस्य जीहजूरी करनेवाले नहीं है।
हमारी समिति
हम बहिष्कार करते हैं तो हमें उसके एवजमें कुछ करना चाहिए। कांग्रेसकी उप-समितिने पाँच कमिश्नरोंकी नियुक्ति की है। उनका काम जो गवाहियाँ अबतक इकट्ठी हुई हैं उन्हें तथा नवीन गवाहियाँ लेकर उनकी छानबीन करके एक रिपोर्ट तैयार करना है। पाँच कमिश्नर हैं : पंडित मोतीलाल नेहरू, श्री चित्तरंजन दास, श्री अब्बास