पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 16.pdf/३४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३११
पंजाबकी चिट्ठी—३

तैयबजी, श्री फजल हुसैन तथा मैं स्वयं। कल श्री अब्बास तैयबजी बड़ौदासे और थोड़े दिनोंमें श्री फजल हुसैन कलकत्तेसे [यहाँ] आ जायेंगे। इन कमिश्नरोंने यहाँके वकील श्री सन्तानम्को अपना मंत्री नियुक्त किया है। यहाँके अन्य वकील भी निःशुल्क काम कर रहे हैं।

एन्ड्रयूजको विदाई

श्री एन्ड्रयूज दक्षिण आफ्रिकाके लिए रवाना होनेवाले थे; उनके सम्मानमें कल ब्रेडलॉ हॉलमें एक भारी सभाका आयोजन किया गया था। उसमें टिकट बेचे गये थे तथा उनसे इकट्ठी हुई दो हजार रुपयेकी रकम श्री एन्ड्रयूजको भेंट की गई। पंडित मालवीयजी अध्यक्ष थे। इस सभा में श्री एन्ड्रयूजने पंजाबकी जो सेवा की है उसकी प्रशंसा की गई और इस आशयका प्रस्ताव पास किया गया कि दक्षिण आफ्रिकामें भगवान् उन्हें सफलता प्रदान करे। श्री एन्ड्रयूजने गद्गद कंठसे बड़ा ही अद्भुत भाषण दिया। सभाके सम्मुख प्रस्ताव पेश करनेकी जिम्मेदारी मुझे दी गई थी। उक्त दोनों भाषण पठनीय हैं, अतएव मैं उन्हें अगले अंकमें प्रकाशित करना चाहता हूँ। अन्य भाषण मुख्यतः औपचारिक थे इसलिए उनका सार देनेका विचार है।

पाठकोंसे क्षमा-याचना

मुझे उम्मीद थी कि 'नवजीवन' साप्ताहिकके प्रारम्भिक अंकोंमें अधिकांशतः मैं ही लिखूँगा अथवा उसके अधिकांश लेखों में मेरा कुछ-न-कुछ हाथ होगा। पंजाबका मामला ऐसा गम्भीर होगा अथवा मुझे इस तरह एकाएक वहाँ रुके रहना पड़ेगा इसका अन्दाज नहीं था। पंजाबसे में कबतक मुक्त हो सकूँगा इसका भी कुछ पता नहीं है। 'नवजीवन' पर मैं स्वयं जो मेहनत करना चाहता था उतनी फिलहाल नहीं कर सकता; आशा है इसके लिए पाठक मुझे क्षमा करेंगे। मैं समझता हूँ कि प्रत्येक पाठक यही चाहेगा कि मैं पंजाबकी सेवा करूँ; और मैं पाठकोंसे आशा रखता हूँ कि वे इस बीच भाई इन्दुलाल याज्ञिक जो सेवा अर्पित कर सकेंगे, उसे स्वीकार करेंगे।

[गुजराती से]
नवजीवन, २३-११-१९१९