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२०४. पत्र : जी॰ ई॰ चैटफील्डको

[नवम्बर १७, १९१९के बाद]

श्री जी॰ ई॰ चैटफील्ड, आई॰ सी॰ एस॰

जिलाधीश अहमदाबाद

प्रिय श्री चैटफील्ड,

लॉर्ड इंटरकी समितिको जो सबूत दिये जाने थे उनके बारेमें आपका पहला पत्र मुझे मिला था। १७ तारीखके आपके पत्र[१] के लिए धन्यवाद। वह मुझे गुजरांवालामें मिला। यह भी ज्ञात हुआ कि अपनी गवाहीके बारेमें आपको लिखकर भेजना जरूरी नहीं है।

हृदयसे आपका, हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस॰ एन॰ ६९८१) की फोटो-नकलसे।

 

२०५. तार : सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजको

[लाहौर
नवम्बर १८, १९१९]

एन्ड्रयूज,

[द्वारा] श्रीमती जहाँगीर पेटिट
पेडर रोड
बम्बई

निश्चय ही इंग्लैंड[२] होते हुए लोटें। मिशनके[३] पहुँचनेतक दक्षिण आफ्रिका में ठहरें।
[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे गवर्नमेंट रेकर्ड्स
  1. वह पत्र इस प्रकार था : "मुझे आपको यह सूचित करनेका निर्देश मिला है कि सरकारने अभीतक भागामी आयोगके सामने लाये जानेवाले अपने गवाहों का चुनाव नहीं किया है। आप कृपया २८ अक्तूबर, १९१९ की इस दफ्तरी नोटिसके सं॰ ४० पी॰ ओ॰ एल॰ आई॰ को रद समझें। मुझे खेद है कि इस बारे में मैंने आपको व्यर्थ हो कष्ट दिया। यदि आप गवाही देना चाहते हैं तो कृपया आप सीधे समितिको उस तरीकेसे अर्जी दें जो उसकी ओरसे प्रेस विज्ञप्ति में निर्दिष्ट किया गया है।"
  2. अपने १७ नवम्बरके पत्र में एन्ड्रयूजने लिखा था : "मेरा विचार शास्त्रीजीका इंतजार करने और उन्हें यथासम्भव पूरी स्थितिसे अवगत करा देनेका है। इसके बाद इंग्लैंड जाकर वहाँ वस्तुस्थितिको स्पष्ट करके शीघ्र ही यहाँ आपके पास लौट आनेका है।"
  3. अभिप्राय संघ सरकार द्वारा नियुक्त जाँच आयोगसे है।