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भाषण : खिलाफत सम्मेलन, दिल्ली में

सरोकार नहीं होगा जिसका सम्बन्ध एक अपूर्ण शान्तिसे है। हमें यह अधिकार भी नहीं है कि जब आज पंजाब भयानक अत्याचारके पंजे में है तो भी हम उत्सवमें जायें। जो बात है वह यह है कि पंजाबके सम्बन्धमें जिन यातनाओंकी हम शिकायत करते हैं वे तो हो ही चुकीं। उनके घावोंको अब सिर्फ भरा जा सकता है। इस सम्बन्ध में अब हम केवल इतना ही चाहते हैं कि न्याय हो और इस उद्देश्यसे दो समितियाँ काम कर रही हैं। एक इंटर समिति है और दूसरी समिति मालवीयजीके नेतृत्वमें काम कर रही है। उनकी जाँचके परिणामोंकी प्रतीक्षा है। हमें अधिकार होगा कि उनकी जाँचपर टिप्पणी करें और कहें कि वे ठीक और न्यायसंगत हैं या नहीं, उनकी जाँच के विवरणकी हम प्रतीक्षा कर सकते हैं, किन्तु खिलाफतके प्रश्नपर हम प्रतीक्षा नहीं कर सकते। क्योंकि इस सम्बन्धमें किये गये निर्णय हमारे सामने हैं और अन्तिम समझौता होने से पहले हमें संसारके सामने अपनी भावनाएँ रख देनी चाहिए। हमें इस प्रश्नको तुरन्त हाथमें लेना चाहिए क्योंकि तीन महीने बीतनेसे पहले-पहले ही उसको अन्तिम रूपसे हल कर लिया जायेगा। इसलिए ये दो प्रश्न अलग-अलग हैं और आज हम मुख्यतः खिलाफत के प्रश्नपर विचार करनेके लिए इकट्ठे हुए हैं। सामान्य स्थिति के अनुसार पंजाबका प्रश्न हमारे इस सम्मेलनके दायरे से बाहर है। इस प्रश्नपर अलग से विचार करनेके लिए एक पृथक सम्मेलन बुलाया जा सकता है और यह निश्चय किया जा सकता है कि जबतक पंजाबका प्रश्न निश्चित रूपसे हल नहीं हो जाता तबतक शान्ति उत्सवों में भाग लेने का हमारा इरादा नहीं है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के प्रश्नपर हमें यह कहनेका अधिकार नहीं है। किन्तु खिलाफतके प्रश्नपर हम ऐसा अवश्य कह सकते हैं। पंजाबका शान्तिसे कोई सम्बन्ध नहीं, खासकर जब कि शिकायतोंको दूर करानेके लिए हमारे पास कई दूसरे साधन हैं। किन्तु जब शान्ति अपूर्ण हैं और उसके बारेमें कोई न्यायसंगत समझौता नहीं हुआ है तो हम उसमें साझीदार होनेसे इनकार कर सकते हैं और इस प्रकार अपनी असहमति प्रकट कर सकते हैं।

में अपना भाषण लगभग समाप्त कर चुका हूँ। हम यहाँ प्रसिद्ध वक्ताओंके भाषण सुननेके लिए जमा नहीं हुए हैं। हमें अक्सर भाई हसरत मोहानीके श्रेष्ठ भाषण सुनने को मिलते हैं। वे हमें हमारा कर्त्तव्य बताते हैं और अगर हम उनके हृदय में झाँककर देखें तो वहाँ हमें हिन्दू और मुसलमानोंमें कोई अन्तर नहीं मिलेगा। वे चाहते हैं कि हम कोई व्यावहारिक सफलता प्राप्त करें और मेरी भी आपसे यही प्रार्थना है कि यह भवन छोड़ते समय आप उसे न भूलें। भगवान्पर भरोसा रखिए और प्रतिदिन सुबह प्रार्थना कीजिए। यदि खिलाफतका प्रश्न न्याय और नीतिपर आधारित है तो भगवान्न्याय करेगा और आपको भी चाहिए कि न्याय प्राप्त करनेके लिए जो बलिदान आवश्यक हैं उनके लिए तैयार रहें। यदि आप भगवान्से प्रार्थना करेंगे तो वह संसारके तमाम राजाओंको न्यायके पक्षमें कर लेगा और जब श्री लॉयड जॉर्ज समझ लेंगे कि टर्कीके साथ न्याय करनेका अर्थ भारतके ३० करोड़ हिन्दू और मुसलमानोंके साथ न्याय करना है तब वे भी झुकेंगे। कुछ प्राप्त करनेके लिए आपको सक्रिय होना है। स्वर्ग प्राप्त करनेके लिए आपको 'गीता', 'कुरान', 'बाइबिल' और 'जेन्द

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