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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अवेस्ता' को पढ़ना है। अगर आप सचमुच अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको सक्रिय होना पड़ेगा और फिर सब कुछ ठीक होगा। आगे जो बात में कहने जा रहा हूँ यदि आप उसे ध्यानसे सुनेंगे और उसपर अमल करेंगे तो में बहुत कृतज्ञ होऊँगा। प्रश्न चाहे खिलाफतका हो या पंजाबका, याद रखिए कि जो ठीक मार्गपर होगा वह अपना अधिकार प्राप्त करेगा। आपको क्रोध नहीं करना चाहिए, अपशब्दोंका प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्रोधमें मनुष्य अपनेको गिरा देता है और अपना पक्ष ठीक होनेपर भी अपना अधिकार प्राप्त करने में सफल नहीं होता। इसलिए में आपसे प्रार्थना करूँगा कि अपने मानवीय कर्त्तव्योंको न भूलें और न धीरजको छोड़ें। याद रखिए कि केवल तलवार ही कत्ल नहीं करती शब्द भी कत्ल करते हैं। आपको न तो कथनी में और न करनी में ही हिंसा दिखानी चाहिए। आपको एक शब्द भी ऐसा नहीं कहना चाहिए जिसे आपने अच्छी तरह तोल और परख नहीं लिया। आप एक शब्दसे प्रेरणा दे सकते हैं और एक ही शब्दसे अपने देशके लक्ष्यको क्षति पहुँचा सकते हैं। अब मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि वह हिन्दू और मुसलमानोंको ऐसे मार्गपर चलाये कि वे एक दूसरेकी सेवा करें। (जोरकी हर्ष-ध्वनि) और सब एक होकर अपने देशकी सेवामें और उसकी समृद्धिके लिए प्राण दे दें।[१] (देरतक करतल ध्वनि)

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ६-१२-१९१९
 

२११. पंजाबकी चिट्ठी—४

लाहौर
नवम्बर २५, १९१९

श्री एन्ड्रयूजका भाषण

मैंने पिछले पत्र में लिखा था कि श्री एन्ड्रयूजने लाहौरसे दक्षिण आफ्रिका रवाना होते समय जो भाषण दिया था और मेरा अपना भाषण, दोनों ही महत्त्वपूर्ण होनेके कारण, पाठकोंके सामने प्रस्तुत करूँगा। श्री एन्ड्रयूजके भाषणका सार निम्नलिखित है :[२]

दिल्ली और पंजाबमें प्रगाढ़ मंत्रीके वातावरणमें काम करनेके बाद आपसे विदा लेना मेरे लिए बहुत कठिन प्रतीत हो रहा है। इसलिए में दो-चार शब्द
  1. भाषणके अन्तमें निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया गया :
    "खिलाफतके प्रश्नपर विचार करनेके लिए बुलाई गई मुसलमानों और गैर-मुसलमानोंकी यह सभा अपना यह मत व्यक्त करती है कि खिलाफतका प्रश्न, जो कि शान्ति कार्यक्रमका एक अंग है और इस प्रकार एक राष्ट्रीय प्रश्न है, भारतके आठ करोड़ मुसलमानोंके हितोंको गम्भीर रूपसे प्रभावित करता है; उक्त प्रश्न अभीतक तय नहीं हुआ है अतः भारतीयोंके लिए आगामी समारोहोंमें भाग लेना सम्भव नहीं है। यह सभा भारतके महामहिम वाइसराय महोदवसे सादर अनुरोध करती है कि खिलाफतकी समस्याका सन्तोषजनक और सम्मानपूर्ण हल निकलनेतक वे शान्ति समारोहको स्थगित कर दें।"
  2. इस भाषणकी रिपोर्ट अंग्रेजीमें भी उपलब्ध है। देखिए यंग इंडिया, २६-११-१९१९। इस अनुवादमें प्रायः उसीका सहारा लिया गया है।